पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/१९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

७२. उद्धरण : मध्य दक्षिण आफ्रिकी रेलवेके महाप्रबन्धकको लिखे गये पत्रसे

[ जोहानिसबर्ग ]
फरवरी २, १९१०

वे सोमवारको जमिस्टन होकर जानेवाली ५-३० बजेकी गाड़ीसे वेरीनिगिंगसे यात्रा कर रहे थे। फोर्ड्सबर्गकी ऐवेन्यू रोड पर स्थित 'मेसर्स सुलेमान इस्माइल मियाँ ऐंड कम्पनी ' के मैनेजर श्री एम० वैद उनके साथ थे। उन्होंने गाड़ीपर सवार होते समय देखा कि दो ऐसे डिब्बे थे जिनके केवल एक हिस्सेमें ही लोग बैठे थे; फिर भी गार्डने उन्हें उन डिब्बोंमें नहीं बैठने दिया। इसलिए उन्हें खड़ा रहना पड़ा। 'रिजर्ड' का लेबल किसी भी डिब्बेपर नहीं दिखाई दिया। उन्होंने गार्डसे कई बार अनुरोध भी किया, लेकिन उसने कोई ध्यान नहीं दिया। जब गाड़ी जर्मिस्टनसे निकल गई तब गार्डने उनसे कहा कि दो डिब्बे बिलकुल खाली हो गये हैं। वे उनमें से किसी एकमें बैठ सकते हैं। इस प्रकार जमिस्टन निकल जानेके बाद ही उन्हें बैठनेकी जगह मिल सकी ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १२-२-१९१०

७३. आगा खाँ और सत्याग्रह

महाविभव आगा खाँ, जो अखिल भारतीय मुस्लिम लीगके दिल्लीमें किये गये वार्षिक अधिवेशनके सभापति थे, दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके साथ किये जानेवाले दुर्व्यवहारकी कड़ी आलोचना करते रहे हैं। यहाँकी स्थिति बताते हुए उन्होंने यह ठीक ही कहा कि दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंका यह बलिदान हो रहा है। उन्होंने ऐलान किया है कि अगर दूसरे तमाम उपाय बेकार साबित हों तो साम्राज्य सरकारको भारतसे नेटालमें गिरमिटिया मजदूर भेजना बन्द करनेके लिए कहा जाये । परन्तु हम महाविभवसे कुछ आगे जाना चाहते हैं और कहना चाहते हैं कि ऐसे प्रवासको हर हालतमें बन्द करना साम्राज्य सरकार और भारत सरकारका कर्तव्य है। सच तो यह है कि स्वयं नेटाल सरकारका, १. अनुमानतः इसका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था और अ० मु० काछलियाने इसपर हस्ताक्षर किये थे । २. जोहानिसबर्गके इस्माइल ९० मुल्ला, जिनकी दी गई खबरके आधारपर यह पत्र लिखा गया था। ३. रायटर द्वारा दी गई उनके भाषणकी रिपोर्ट ५-२-१९१० के इंडियन ओपिनियन में उद्धृत की गई थी ।