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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

श्री डोक कुछ समय लन्दनमें रहेंगे। वे दोनों एशियाई समाजोंके पूर्णतः विश्वस्त दूत हैं। उनसे अनुरोध किया गया है कि वहाँ वे साम्राज्यके अधिकारियोंसे मिलें और उनके सामने इस प्रश्नको उस रूपमें रखें जिस रूपमें उन्होंने उसे अपने निजी अनुभवसे देखा है । अगर श्री डोकको उन अधिकारियोंसे मिलनेका अवसर मिला तो हमें निश्चय है कि वे उनकी बात आदरपूर्वक सुनेंगे । अपने उद्देश्यका ऐसा योग्य समर्थक प्राप्त कर लेनेपर हम दोनों समाजोंको बधाई देते हैं । धर्मकार्यके निमित्त श्री डोक अमेरिका जा रहें हैं; हमारी शुभकामनाएँ उनके साथ हैं । प्रकट करते हैं । {{left[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १९-२-१९१०}}

८७. श्री रुस्तमजी

ट्रान्सवालकेमें चल रहे निराले संघर्ष में श्री रुस्तमजीने जो सेवाएँ की हैं उनकी प्रशंसा करना अशक्य है । केवल दो सत्याग्रहियोंको लगातार लगभग पूरे एक वर्ष तक जेल में रहनेका विशेष गौरव प्राप्त हुआ है। श्री रुस्तमजीने वहाँ पूरा एक वर्ष बिताया । अपने पत्र में, जिसे हम अन्यत्र छाप रहे हैं, उन्होंने जिन कष्टोंका वर्णन किया है, उनसे ट्रान्सवाल सरकारकी नीतिपर दुःखजनक प्रकाश पड़ता है । परन्तु श्री रुस्तमजीने सरकारको विश्वास दिलाया है कि उन्हें जो अनावश्यक कष्ट पहुँचाया गया है उससे उनका उत्साह भंग नहीं हो सकता । अब श्री रुस्तमजी अपने साथी सत्याग्रहियोंकी सहमति और सलाहसे विश्राम कर रहे हैं, जिसके वे पूर्ण अधिकारी हैं । वे अपने व्यापारको भी व्यवस्थित कर रहे हैं जिसे उनकी गैरहाजिरीमें स्वभावतः बहुत क्षति पहुँची है । हम आशा करते हैं कि श्री रुस्तमजी शीघ्र ही स्वस्थ हो जायेंगे और अगर इस बीचमें लड़ाई समाप्त नहीं हुई तो, पुनः ट्रान्सवालकी जेलको सुशोभित करेंगे । {{left[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १९-२-१९१०}} १. देखिए परिशिष्ट २ । Gandhi Heritage Portal