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कोई चिन्ता नहीं

प्रसिद्ध है। इन लोगोंका आपसी झगड़ा था; जिसकी चर्चा करनेकी जरूरत नहीं है । उनका खयाल था कि वे आपसमें लड़-भिड़कर अपने मतभेद दूर कर लेंगे। ध्यान देने योग्य बात यह है कि जो खबरें मिली हैं उनके अनुसार यद्यपि पुलिसको पहलेसे मालूम था कि झगड़ा होनेवाला है, फिर भी पुलिसने उसे रोकनेके लिए पर्याप्त सावधानीसे काम नहीं लिया ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-४-१९९०

१४२. कोई चिन्ता नहीं

महात्मा टॉल्स्टॉयका जो पत्र इस साप्ताहिकमें छापा गया था उसे नडियादके 'गुजरात' अखबारमें उद्धृत किया गया; इसपर उस अखबारको नोटिस दिया गया है कि उसके विरुद्ध मुकदमा चलाया जायेगा । कार्रवाई नये समाचारपत्र-अधिनियम (प्रेस ट्रस्ट ऐक्ट) के अन्तर्गत की जायेगी। हमारे पाठकोंको टॉल्स्टॉयके पत्रका ध्यान होगा। जिन्होंने उसे न पढ़ा हो, मेरी सलाह है कि वे उसे पढ़ लें । उस पत्रमें एक वाक्य भी ऐसा नहीं है जिससे खून-खराबीका डर हो । फिर भी उसके प्रकाशकपर मुकदमा चलाया जा रहा है, यह कम आश्चर्यकी बात नहीं है। इससे राज्य-अधिकारियोंका निरा पागलपन प्रकट होता है। वे डर गये हैं और डरके मारे यह निश्चय नहीं कर सकते कि क्या करने दिया जाये और क्या नहीं। हमें दुःख यह होता है कि यद्यपि उस लेखके सम्बन्ध में पहला उत्तरदायित्व हमारा है, फिर भी हमारे विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई और मुसीबत 'गुजरात' के सम्पादकके सिर आ पड़ी । हमें आशा है कि 'गुजरात ' के सम्पा- दक और व्यवस्थापक निडर होकर अपने कर्तव्यका पालन करेंगे और तनिक भी पीछे न हटेंगे ।

इस समय भारतकी पूरी परीक्षा हो रही है। बड़े-बड़े कानून बनाये गये हैं और लेखोंपर रोक लगाई जा रही है। इसके लिए मुख्य रूपसे बम चलानेवाले जिम्मेदार हैं; परन्तु वे इससे रुक जायेंगे, ऐसा नहीं है। सरकार कोई भेद किये बिना पत्रोंको बन्द करेगी, तो उससे शान्ति कदापि नहीं होगी। हम तो मानते हैं कि इस प्रकारके दमनसे शान्ति होनेके बजाय अशान्ति बढ़ेगी। जिन लोगोंके मनमें विष नहीं था उनके मनमें भी विष पैदा हो जायेगा ।

वास्तवमें टॉल्स्टॉयके पत्रका उद्देश्य लोगोंके मनमें शान्ति उत्पन्न करना है। उसका उद्देश्य यह है कि लोग दूसरोंके दोष निकालने के बजाय अपने दोष देखें। यह सच है कि उसमें अंग्रेजी शासनसे हुई हानिका चित्र बहुत सुन्दर दिया गया है। इसका प्रभाव लेखपर रोक लगानेसे नष्ट न होगा । जनताकी आँखें खुल गई हैं और वे अब बन्द न होंगी । ( १. देखिए " प्रस्तावना : टॉलस्टॉयके एक हिन्दूके नाम पत्र की ", पादटिप्पणी २, पृष्ठ ३ । Gandhi Heritage Portal