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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस अवसरपर हम अपने पाठकोंसे दो शब्द कहना चाहते हैं। हमारा खयाल है। कि उन्हें चुप नहीं बैठना चाहिए। हम तो कदापि चुप नहीं बैठेंगे। हमारे लेखोंके छापनेसे दूसरे लोगोंपर संकट आता है; केवल इसी कारण हमारा बैठे रहना सम्भव नहीं है। परन्तु, पत्रके केवल सम्पादक और संचालक नहीं होते; उसका बड़ा भाग तो पाठकों का होता है । देखना यह है कि हमारे पाठक इस घटनासे डर जाते हैं या अपने कर्तव्यका पालन करते हैं । प्रत्येक पाठक दूसरे लोगों तक भी इस पत्रको पहुँचानेका प्रयत्न करे । पत्रका प्रधान उद्देश्य उसमें दिये गये विचारोंका प्रचार करना और उनके अनुसार लोगोंसे आचरण करवाना है। यह काम पाठकोंकी सहायताके बिना नहीं हो सकता ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ९-४-१९१०

१४३. जोहानिसबर्ग की चिट्ठी

सोमवार [ अप्रैल ११, १९१०]

डेलागोआ-बे भेजे गये

श्री आचारी और ३७ अन्य सत्याग्रही शनिवारको प्रिटोरियासे डेलागोआ-बे भेज दिये गये। उनमें से करीब छः व्यक्ति तो सत्याग्रही नहीं थे । अब हो गये हों तो कहा नहीं जा सकता। उनमें से जो तमिल नाम हैं वे सब सत्याग्रही हैं। इस प्रकार तमिल लोग सत्याग्रहका झण्डा उठा रहे हैं। मैंने सब तमिल नाम अंग्रेजीमें दे दिये हैं, इसलिए उनको यहाँ नहीं देता ।

जहाजोंकी इनकारी

पिछले सप्ताह मैंने अंग्रेजी विभागमें समाचार दिया था कि कुछ जहाजोंने इन निर्वासितोंको ले जानेसे इनकार कर दिया है। इसमें सत्य कितना है यह नहीं कहा जा सकता। परन्तु यह जान पड़ता है कि उन्हें अभीतक जहाज मिला नहीं है। यदि भारत पूरी शक्ति लगा देगा तो एक भी जहाज निर्वासितोंको ले जानेका साहस न करेगा । इस बार जो भारतीय निर्वासित किये जायेंगे वे भारतमें धूम मचा देंगे, यह माननेका पर्याप्त कारण है ।

चेट्टियार

श्री चेट्टियारको आज निर्वासित करनेकी आज्ञा दे दी गई है और वे जेल भेज दिये गये हैं । उनकी आयु लगभग ५५ वर्षकी है। वे बहुत दिनोंसे रोग पीड़ित हैं। फिर भी वे १. देखिए “ट्रान्सवालकी टिप्पणियाँ", पृष्ठ २३२ । २. देखिए " ट्रान्सवालकी टिप्पणियाँ”, पृष्ठ २२२-२२३ । ३. तमिल संघ (सोसायटी) के अध्यक्ष, वी० ए० चेट्टियार, जो ५ अप्रैलको गिरफ्तार किये गये थे। देखिए “ ट्रान्सवालकी टिप्पणियाँ ", इंडियन ओपिनियन, ९-४-१९१० ।