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१७९. स्वर्गीय सम्राट् '

सम्राट् एडवर्डकी मृत्यु हो गई और वे पूरे साम्राज्यको शोक-मग्न कर गये । ब्रिटिश संविधान में राजाको राजनीतिसे परे रखा गया है। इसलिए उनकी मृत्युसे कितनी हानि हुई यह तो उनके व्यक्तिगत गुणोंसे ही आँका जायेगा, परन्तु इनसे प्रेरणा तो केवल उन्हींको मिलती है जिनके जीवन उनसे प्रभावित होते रहे हैं । भारतीय तो स्वर्गीय महामहिम सम्राट्को इस रूपमें याद करेंगे कि उन्होंने अपनी आदरणीया दिवंगत माताके पद चिह्नोंका अनुसरण किया। अपनी माताकी भाँति स्वर्गीय सम्राट्के मनमें भी भारतकी जनताके लिए प्रेम था । इस कारण हमें भी हमेशा उनकी मधुर याद बनी रहेगी ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १४-५-१९१०

१८०. सम्राट् चिरजीवी हों !

वेल्स के महाविभव राजकुमार जॉर्ज अब जॉर्ज पंचमके नामसे इंग्लैंडके राजा और भारतके सम्राट् बन गये हैं । 'राजा चल बसा; राजा चिरजीवी हो !' ये दोनों बातें एक साथ कही जाती हैं। राजा और सम्राट् आते-जाते रहते हैं, परन्तु राज-पद अमर है। राजाके लिए उपयुक्त माने गये गुणोंके अनुसार आचरण बहुत कम राजा कर पाते हैं। वर्तमान राजा जॉर्ज पंचमके शब्दोंमें उनके पिता राजा एडवर्डकी इच्छा थी कि " अन्तिम साँस तक वे प्रजाका अधिकतम हित करनेका प्रयत्न करते रहेंगे और अपने इस वचनका पालन उन्होंने अपनी शक्ति-भर किया। ईश्वरकी कृपासे मैं भी इस बारे में अपने पिताका ही अनुसरण करनेका पूरा प्रयास करूँगा । " बादशाह चाहते हैं कि उनके प्रजाजन भी परमात्मासे उनके बारेमें यही प्रार्थना करें कि " वह उन्हें इसके लिए बल दे और उनका मार्गदर्शन करे।" यह प्रार्थना बहुत-से देशोंसे अनेक भाषाओं में स्वर्ग- लोक तक ऊँची उठेगी । इस प्रार्थनामें हम भी नम्रतापूर्वक भाग ले रहे हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १४-५-१९१०



१. यह मोटी काली लाइनसे घेरकर बॉक्सके रूपमें प्रकाशित किया गया था । Gandhi Heritage Porta