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प्रस्तावना : टॉलस्टॉयके एक हिन्दूके नाम पत्र'की

टॉल्स्टॉयके सब विचार मुझे मान्य हैं ऐसा नहीं समझा जाना चाहिए।' टॉल्स्टॉय को मैं अपना शिक्षक मानता हूँ। किन्तु उनके सब विचार मुझे मान्य हों, ऐसी कोई बात नहीं है। उनकी शिक्षाका मुलमन्त्र मुझे पूर्णतया मान्य है और वह मूलमन्त्र इस पत्रमें आ गया है।

इस पत्र में वे किसी भी धर्मके अन्ध-विश्वासोंका खण्डन करनेसे नहीं चूके हैं। लेकिन केवल इसी कारण हिन्दू अथवा किसी अन्य धर्माभिमानीको उनकी शिक्षाका विरोध नहीं करना चाहिए। हमारे लिए इतना काफी होना चाहिए कि वे सभी धर्मोंके सारको मानते हैं। बहुत बार अधर्म धर्मकी जगह ले लेता है तब धर्मका लोप हो जाता है। टॉल्स्टॉय इस बातको बार-बार दोहराते हैं। और हम चाहे जिस धर्मको मानते हों [उनका] यह विचार बहुत ध्यान देने योग्य है।

[पत्रका] अनुवाद करते समय यथासम्भव आसान गुजराती काममें लानेका प्रयत्न किया गया है। 'इं० ओ०' के पाठक आसान भाषा पसन्द करते हैं, इस बातका ध्यान रखा गया है। फिर मैं चाहता हूँ कि टॉल्स्टॉयके पत्रको हजारों गुजराती भारतीय पढ़ें; लेकिन यह सब जानते हुए भी कि हजारों कठिन भाषासे ऊब उठेंगे, जहां कहीं बिलकुल आसान शब्द नहीं मिले वहाँ स्वभावतः कठिन शब्दोंका प्रयोग हुआ होगा। इसके लिए पाठकोंसे माफी मांगता हूँ।

मोहनदास करमचन्द गांध
 

[गुजरातीसे] इंडियन ओपिनियन, २५-१२-१९०९

२. प्रस्तावना : टॉल्स्टॉयके 'एक हिन्दूके नाम पत्र' की
.एस० एस० किल्डोनन कैसिल, नवंबर १९, १९०९
 

आगे जो पत्र दिया जा रहा है वह टॉलस्टॉयके एक पत्रका [अंग्रेजी] अनुवाद है। उन्होंने 'फ्री हिन्दुस्तान' के सम्पादकके एक पत्रका उत्तर रूसी भाषामें लिखा था। उक्त उत्तरका यह अनुवाद उनके एक अनुवादकने तैयार किया है। यह अनुवादित पत्र अनेक हाथोंसे गुजरता हुआ अन्तमें मेरे एक मित्रके जरिये मुझतक आया। टॉल्स्टॉयके लेखोंमें मेरी विशेष रुचि होनेके कारण मेरे मित्रने मुझसे पूछा कि क्या आप इसे प्रकाशनके योग्य समझते हैं ? मैंने तुरन्त 'हाँ'में उत्तर दिया और कहा कि मैं स्वयं गुजराती में इसका अनुवाद करूँगा और दूसरोंको भी विभिन्न भारतीय भाषाओंमें इसे अनुवादित और प्रकाशित करनेके लिए प्रोत्साहित करूँगा।

१. गांधीजी टॉलस्टॉयके पुनर्जन्म सम्बन्धी विचारोंसे सहमत नहीं थे, देखिए खण्ड ९, पृष्ठ ४४४-४५।

२. टॉल्स्टॉयका एक हिन्दू के नाम पत्र", इंडियन ओपिनियनके २५-१२-१९०९, १-१-१९१० तथा ८-१-१९१० अंकमें प्रकाशित हुआ था । यहाँ नहीं दिया गया है।

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