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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किया है, मुझे लगता है कि श्री स्मट्सने भी उसे वही अर्थ देना चाहा है । किन्तु यह केप और नेटालके लिए कितने दुर्भाग्यकी बात है। केपके लिए क्या किया जाना चाहिए, इसपर मेरे सुझाव आपको रिचके नाम लिखे गये पत्रमें मिलेंगे। मेरे विचारसे नेटालके बारेमें भी आवश्यक परिवर्तनोंके साथ यही कदम उठाया जा सकता है। मैं सोचता हूँ कि नेटालके लोग तत्काल एक अभिवेदन भेजकर पत्नियों और नाबालिग बच्चोंके बारेमें तथा अधिवासके अधिकारोंके सम्बन्ध में विधेयकके अर्थका स्पष्टीकरण करा लें । अभिवेदनका मसविदा संलग्न है; यह तारसे भेजा जाये। जवाब मिलनेपर एक अभिवेदन गृह मन्त्रीको दिया जाये और यदि उसका सन्तोषजनक उत्तर न मिले तो सर डेविड इंटरकी' मार्फत संसदमें एक याचिका पेश कराई जाये । नेसर द्वारा प्रारम्भ किये गये वाद-विवादके समय हेगरने जो मिथ्या आरोप लगाये और जो गलतबयानियाँ की उनका उत्तर देते हुए प्रधानमन्त्रीके नाम एक खुला पत्र भेजा जाना चाहिए; और इसकी एक-एक नकल संघ-संसदके सभी सदस्योंको डाकसे भेज दी जाये । आपकी सुविधाके खयालसे पत्रका मसविदा बनाकर भेजनेका प्रयत्न करूँगा ।

हृदयसे आपका,

[ संलग्न ]

मसविदा

कांग्रेस-समितिने प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयक देखा । सरकारके सामने अपना रखने से पहले समिति विनयपूर्वक सरकारसे निम्नलिखित मुद्दोंपर जानकारी पानेका अनुरोध करती है : मौजूदा अधिनियममें किसी विशेष संरक्षक धाराके अभाव में इस प्रान्तके ब्रिटिश भारतीयोंके अधिवास अथवा निवास - सम्बन्धी कानूनी अधिकार क्या हैं और वैध एशियाई निवासियोंकी

१. देखिए “ पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको ", पृष्ठ ४४६-४८ । २. दक्षिण आफ्रिका संघकी संसदके सदस्य 1 ३. देखिए " नेटालका प्रार्थनापत्र : संव-विधानसभाको ”, पृष्ठ ४७५-७६ । ४ और ५. दक्षिण आफ्रिका संघकी संसद के सदस्य । ६. लगता है, ऐसा कोई पत्र नहीं भेजा गया । नेटाल भारतीयोंकी आम सभा अध्यक्षकी हैसियत से दाउद मुहम्मदने कहा था कि नेटाल मर्क्युरीने हेगरके इस वक्तव्यका समुचित उत्तर दिया है कि हममें से अधिकांश लोग भारतीय हैं ही नहीं, बल्कि विदेशी एशियाई हैं । ७. जनरल स्मट्सके नाम यह तार नेटाल भारतीय कांग्रेस द्वारा मार्च ४ को भेजा गया था । इसका कोई जवाब न मिलनेपर, मार्च ६ को दूसरा तार भेजा गया था । मार्च ७ को जनरल स्मट्सके निजी सचिवने तारसे यह उत्तर भेजा : • प्रवासी विधेयकका सम्बन्ध दक्षिण आफ्रिकामें बस जानेवाले अथवा वैध रूप से निवास करनेवाले गोरों या रंगदार लोगोंसे नहीं है । जैसा कि प्रस्तावना में कहा गया है, इस विधेयकका उद्देश्य केवल प्रवासका नियमन करना है । ट्रान्सवाल्के १९०७ के अधिनियम २ को छोड़कर शेष सारे एशियाई कानून, जिनके अन्तर्गत प्रान्तोंमें वैध रूपसे निवास करनेवालोंके अधिकारोंका नियमन किया जाता है, ज्यों-त्यों बने रहेंगे और रद नहीं होंगे ।