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पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको

सर डेविड हंटर अथवा जिस किसी सदस्य के पास चाहें, भेज सकते हैं, और यह भी कि वे [ श्री रिच ] आवश्यक समझें तभी यह याचिका पेश की जाये।' सीनेटके लिए मैं अभी कुछ नहीं भेज रहा हूँ। क्योंकि विधेयक के पेश होनेमें अभी अधिक नहीं तो एक सप्ताह लग ही जायेगा । इसलिए सम्भव है, सीनेटके समक्ष भेजी जानेवाली याचिका में परिवर्तन करना पड़े । अब्दुल कादिर और मैंने एक-दूसरेको जो तार भेजे थे उनकी प्रतियाँ भेज रहा हूँ ।"

आपका हृदयसे

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२४६) की फोटो नकलसे ।

३९६. पत्र : एल० डब्ल्यू० रिचको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च ७, १९११

प्रिय रिच,

जितनी जानकारी मेरे पास है वह सभी पोलकको लिखे पत्रसे आपको मिल जायेगी । मैं ब्रिटिश भारतीय संघकी ओरसे इसी समय तार' द्वारा आपके लिए अधिकारपत्र भेज रहा हूँ । ट्रान्सवालके मामलेमें आप काम कर रहे हैं यह सूचित करते हुए एक तार स्मट्सको भी दिया जा रहा है। पोलकने अभी-अभी टेलीफोनपर बात की है । आपको उनका भी एक तार मिलेगा। मैं नेटालकी याचिकाके बारेमें कौन-सा मार्ग अपनाना उचित मानता हूँ, आप इससे समझ लीजिए । जो मुद्दे उठाये गये हैं यदि जनरल स्मट्स उन्हें किसी भी रूपमें मान लेते हैं तो हम याचिका नहीं भेजना चाहेंगे। यदि [ प्रवर ] समिति द्वारा इसपर विचार करते समय वे लिखित वचन दे देते हैं तो संसदके समक्ष याचिका पेश करनेकी कोई आवश्यकता नहीं है । यदि मैं आपकी जगह होता तो जनरल स्मट्ससे यह भी पूछ लेता कि वे याचिकाका पेश किया जाना ठीक समझते हैं या नहीं; अलबत्ता अगर वे सुनने-समझने के लिए तैयार हों जैसा कि लगता है, वे हैं। नेटालके तारका' उन्होंने यह उत्तर दिया है कि जो

१. याचिकापर ९-३-१९११ की तारीख पड़ी थी, किन्तु उसे १५-३-१९११ को विधान सभा सामने पेश किया गया था । २. मूलमें यहाँ एक शब्द कटा हुआ है । ३. देखिए “तार : अब्दुल कादिरको”, पृष्ठ ४६६-६७ और पृष्ठ ४६६, पाद-टिप्पणी ५ । ४. देखिए पिछला शीर्षक । ५. देखिए अगला शीर्षक । ६. देखिए "तार : गृहमन्त्रीके निजी सचिवको", पृष्ठ ४७१ । ७. देखिए “ पत्र : एच० एस० एल० पोलकको", पृष्ठ ४५०-५१; शीर्षकके साथ संलग्न कागज और उसकी पाद-टिप्पणी भी ।