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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कमसे-कम जहाँतक शिक्षित भारतीयोंके दर्जेका सम्बन्ध है, आवश्यक संशोधन कराने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। कारण, मेरे एक प्रश्नके' उत्तरमें जनरल स्मट्ससे गत शनिवारको एक तार प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा है कि शिक्षित एशियाइयोंपर ट्रान्सवाल अथवा आरेंज फ्री स्टेटके पंजीयन कानून लागू नहीं किये जायेंगे ।

इसलिए मैंने ऊपर जो मुद्दे उठाये हैं, उनके अनुसार यदि विधेयक प्रवर समिति में संशोधित हो जाता है तो सत्याग्रह तुरन्त समाप्त हो सकता है और अन्तःकरणकी प्रेरणासे आपत्ति करनेवालोंको और अधिक कष्ट झेलनेसे बचाया जा सकता है।

आपका सच्चा,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२४४) की फोटो - नकलसे ।

३९५. पत्र : एच० एस० एल० पोलकको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च ७, १९११

प्रिय श्री पोलक,

स्मट्ससे प्राप्त जिस तारके बारेमें आपसे टेलीफोनपर बात की थी, वह इस प्रकार है :

७ मार्च। आपके २ और ४ मार्चके पत्र और ४५ मार्चका तार, सभी यथासमय मिले । आपके वकीलने जो कानूनी सवाल उठाये हैं, उनपर मन्त्री कानूनी सलाहकारोंके साथ विचार कर रहे हैं।

मैंने वेस्टके पास जो सामग्री सीधे भेजी है, उसकी प्रतियाँ यहाँ संलग्न हैं। यदि आप कोई परिवर्तन सुझाना चाहें तो या तो विशेष सन्देशवाहक भेजें या फीनिक्स चले जायें, अथवा जो उचित समझें, करें। और यदि आप किसी चीजका प्रकाशन रोकना चाहें तो इस बारेमें भी वेस्टको सूचित कर दें। विधानसभाको दी जानेवाली याचिका और उसकी प्रतिलिपि भी संलग्न कर रहा हूँ। इसकी एक-एक प्रति रिच और वेस्टके पास भी भेजी गई है। आपकी प्रतिपर जाब्तेसे हस्ताक्षर हो जानेके बाद उसे कांग्रेसके अधिकारियों द्वारा लिखे गये एक आवरक-पत्रके साथ रिचके पास भेज दिया जाये । आवरक पत्रमें रिचको यह अधिकार लिख भेजा जाये कि वे याचिका

१. देखिए " तार : जनरल स्मट्सके निजी सचिवको ", पृष्ठ ४५१ । २. देखिए "पत्र : ई० एफ० सी० लेनको ", पृष्ठ ४५७-५८ ३. देखिए "पत्र : ई० एफ० सी० लेनको", पृष्ठ ४४३-४४ । ४. देखिए " पत्र : ई० एफ० सी० लेनको", पृष्ठ ४५७-५८ । ५. साधन-सूत्र में ६ मार्चकी तिथि है; लेकिन देखिए "तार : गृहमन्त्रीके निजी सचिवको ", पृष्ठ ४५६-५७ । ६. उपलब्ध नहीं है। ७. देखिए “ नेटालका प्रार्थनापत्र : संघ-विधानसभाको ", पृष्ठ ४७५-७६ ।