पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/५४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



४९७
पत्र: ' प्रिटोरिया न्यूज' को

और इसलिए मैं रुक गया था । मुझे विश्वास है कि आप पेश होनेवाले संशोधन और उनकी प्रगति समय-समयपर तार द्वारा मुझे सूचित करते रहेंगे। हम पत्नियों और नाबालिग बच्चोंसे सम्बन्धित व्यवस्थामें कोई भी अनिश्चितता बरदाश्त नहीं कर सकते । साम्राज्य सरकार और संघ-सरकारके बीच हुए पत्र-व्यवहारकी एक प्रति यदि आप मेरे पास भेज न चुके हों, तो कृपया अब भेज दें । आज मैं आपसे इसकी एक प्रति पानेकी आशा कर रहा था ।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२९०) की फोटो - नकल से ।

४३०. पत्र : एच० एस० एल० पोलकको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च १५, १९११

प्रिय पोलक,

रिचको लिखे गये पत्रमें मैंने 'रैंड डेली मेल' के जिस लेखका उल्लेख किया है, वह लेख और व्यंग्य-चित्र' वेस्टको भेज दिया गया है। इस पत्रके लिखने के समय तक केप टाउनसे कोई तार नहीं आया। मुझे आशा है कि इस पत्रके पहुंचने तक वहाँ हमारे मित्र खासी रकम जमा कर लेंगे। प्रारम्भिक अवस्थाओं में सत्याग्रहके लिए भी पहली आवश्यक वस्तु निधि ही होगी ।

हृदयसे आपका,

हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२९२ 'ख' ) की फोटो - नकलसे ।

४३१. पत्र: 'प्रिटोरिया न्यूज' को

जोहानिसबर्ग
मार्च १६, १९११

महोदय,

आपने मेरे साथ हुई जो भेंट-वार्ता प्रकाशित की है, देखता हूँ, उसमें कतिपय ऐसी भूलें हैं जिनके परिणामस्वरूप नेटालमें काफी भ्रम फैल गया है और भेंट-वार्ताका उपयोग उस उद्देश्यको हानि पहुँचाने की दिशामें किया जा रहा है, जो मुझे बहुत प्रिय है। जिससे भेंट की जाये उससे संशोधन कराये बिना भेंट-वार्तामें भूलोंका रह जाना अनिवार्य है और खासकर उस दशामें, जब भेंट-वार्ता टेलीफोनपर हुई हो, १. देखिए पिछला शीर्षक । २. उपलब्ध नहीं है । १०-३२