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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जैसी कि यह हुई थी । इसलिए आशा है कि आप मुझे अपने स्तम्भों द्वारा सम्बन्धित भेंट-वार्तासे उत्पन्न भ्रमका निवारण करनेकी अनुमति देंगे।

मेरी स्थिति यह है : यदि यह नया विधेयक शैक्षणिक कसौटीमें पासशुदा एशि- याइयोंको, एशियाई पंजीयन कानूनोंके अधीन हुए बिना, संघ में आने देता है, और यदि इसके द्वारा जो व्यक्ति पंजीकृत हैं या ट्रान्सवालमें प्रवेश करनेपर पंजीयनके अधिकारी हैं उनकी पत्नियों और नाबालिग बच्चोंके अधिकारोंका अपहरण नहीं होता - इसकी वर्तमान शब्दावलिसे ऐसे अपहरणकी आशंका होती है -- तो अवश्य ही सत्याग्रहका अन्त हो जाना चाहिए। मैं इस विधेयकको इस दृष्टिसे सन्तोषजनक मानता हूँ । जहाँतक केप और नेटालके एशियाइयोंका सवाल है, इस विधेयककी धाराओंको मैं कितने ही तीव्र रूपसे नापसन्द क्यों न करूँ, ट्रान्सवालके एशियाई विभिन्न प्रान्तों में मेरे देशवासियोंपर लादी जानेवाली इन दोनों निर्योग्यताओंके कारण सत्याग्रह जारी नहीं रख सकते। इस तरह विधेयकके बारेमें मेरा सन्तोष केवल ट्रान्सवाल और सत्याग्रह संग्राम तक ही सीमित है ।

जो भारतीय इस समय गिरमिटियोंके रूपमें चाकरी कर रहे हैं, उनकी संख्या १५,००० नहीं है बल्कि लगभग २३,००० है ।

आपका

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५३०१) की फोटो नकलसे ।

४३२. तार : एच० एस० एल० पोलकको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च १६, १९११

सेवा में

पोलक
मार्फत रुस्तमजी

डर्बन

रिचका तार कि डंकन हंटर जैगर' द्वारा अपने-अपने प्रान्तोंके प्रार्थना- पत्र प्रस्तुत|सभाके विचारमें प्रार्थना उचित पत्र प्रस्तुत । लक्षण अत्यन्त उत्साहवर्धक । ज्ञात नहीं [ प्रार्थनापत्र] समितिमें कब पहुंचेंगे सूचना केपसे तार द्वारा परिस्थितिकी सूचना आई है।

गांधी

हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५२९६) की फोटो - नकलसे ।

१. पैट्रिक डंकन; ट्रान्सवालसे संसद सदस्य । २. सर डेविड इंटर; नेटालसे संसद सदस्य । ३. जे० डब्ल्यू० जैगर; केप कालोनीसे संसद सदस्य ।