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पत्र: एच० एस० एल० पोलकको

जा सकता है कि उनका भय सर्वथा निराधार है । मैं आशा करता हूँ कि आप अपनी ओरसे मॉडको फिर हिदायत कर देंगे । उसके नाम अपने पत्रकी' एक प्रतिलिपि मैं आपके पास सोमवारको भेजूंगा । किन्तु आप उसे क्या लिखें, इसमें मेरा पत्र मार्गदर्शन नहीं कर सकेगा, क्योंकि जिस समय तक आपको अपना पत्र डाकमें छोड़ देना चाहिए यह पत्र उसके बाद पहुँचेगा ।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५३१७) की फोटो - नकलसे ।

४४५. पत्र : एच० एस० एल० पोलकको

मार्च १८, १९११

प्रिय पोलक,

मुझे रिच या स्मट्स, किसीका भी कोई तार नहीं मिला है, इसलिए आपको टेलीफोनसे देने योग्य कोई खबर नहीं है; नटेसनका पत्र संलग्न है । मैंने आपके नाम उनका पत्र और डॉक्टर मेहताका भी पत्र खोल लिया था । नटेसनने मुझे जो पत्र लिखा है, वह भी मैं आपके पास भेज रहा हूँ । एक पार्सल, जिसमें उनके भाषण की प्रतियाँ हैं, फीनिक्स भेजी जा रही हैं । मेरे नाम लिखा गया नटेसनका पत्र कृपया वापस कर दीजिएगा; क्योंकि मैंने अभी उसका उत्तर नहीं दिया है। ट्रान्सवालकी समस्याका रिच द्वारा सुझाया गया समाधान, जो 'केप आर्गस' में छपा है और जिसे मैंने कल आपके पास भेजा था, 'इंडियन ओपिनियन' में भी उद्धृत होना चाहिए ।

हृदयसे आपका,

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५३२०) की फोटो - नकलसे ।

१. देखिए “पत्र : मॉड पोलकको ", पृष्ठ ४९०-९२ । २. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके इलाहबाद अधिवेशन में दक्षिण आफ्रिकाके सवालपर किया गया भाषण; इसे ८-४-१९११ के इंडियन ओपिनियनमें उद्धृत किया गया था । ३. इसे "श्री रित्र सुझाव" शोर्षकले २५-३-१९११ के इंडियन ओपिनियन में उद्धृत किया गया था।