पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/५५५

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साम यू चोंग आह की वो किम आह वी पत्र: भगनलाल गांधीको ( ३ ( ३ ( ३ ( ३ इस्माइल इसाक लुई बेंजामिन या तो फोर्ट [ जेल ] में हैं या डीपक्लूफ [ जेल ] में । मास सख्त कैद) मास सख्त कैद) मास सख्त कैद ) मास सख्त कैद ) हस्तलिखित मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५३२२), जिसमें अन्तिम तीन पंक्तियाँ गांधीजीके स्वाक्षरोंमें हैं, की फोटो-नकलसे । ४४८. पत्र : मगनलाल गांधीको ५११ टॉल्स्टॉय फार्म फाल्गुन बदी ४ [ मार्च १९, १९११] चि० मगनलाल, इस पत्रके साथ जो कागजात भेज रहा हूँ, उनपर उचित कार्रवाई करना । मुझे भरोसा है, यहाँ आते ही छगनलालका स्वास्थ्य ठीक हो जायेगा। मैं चाहता हूँ कि वह तुरन्त आ जाये । मैं आनन्दीलालसे कोई उम्मीद नहीं रखता। अगर वह मनमें ठान ले तो आदरणीय अमृतलाल भाईको प्रसन्न कर सकता है। उसने श्री कॉर्डिजपर जो आक्षेप किया है, उससे सिर्फ यही मालूम होता है कि वह वहमी और उतावले स्वभावका है। यही कारण है कि उसी डाकसे प्राप्त उनके भाषणकी कतरन तुम्हें भेज रहा हूँ । सार यह है कि हमें अपना मन निर्मल रखना चाहिए और दूसरोंके कामोंका सीधा अर्थ लेना चाहिए। ऐसा करें तो उलटे काम अपने-आप असली रूपमें दिखाई देने लगेंगे। अब हरिलालके बारेमें । तुम्हें उसमें जितने अधिक दोष दिखाई दें तुम उसपर उतना अधिक प्रेम-भाव रखो। बड़ी आग बुझानेके लिए ज्यादा पानीकी जरूरत होती ही है। उसकी तामसी प्रवृत्तिको पराजित करनेका उपाय तुम्हारी सात्विक वृत्तियोंकी विशेष प्रवलता ही है। अगर वह कुरता माँगे तो उसे अंगरखा दिये छुटकारा है। तुम तमिलमें अच्छी प्रगति कर रहे हो । कुछ तमिल लोगोंसे बोलनेकी आदत रखो तो अच्छा रहे । मोहनदासके आशीर्वाद गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ५०८०) से । सौजन्य : राधाबेन चौधरी । १. स्पष्ट है, यह पत्र जुलाई १९११ में छगनलाल गांधी के आफ्रिका पहुँचनेके पहले लिखा गया था। उस वर्ष फाल्गुन बदी ४ को, मार्चकी १९ तारीख पड़ती थी । Gandhi Heritage Portal