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४६१. तार : एल० डब्ल्यू० रिचको

[ जोहानिसबर्ग मार्च
२३, १९११]

हॉस्केन, कार्टराइट, डोक, फिलिप्स, हॉवर्ड, पेरी, हैडॉन, पोलॉक, डैलो उपस्थित । यूरोपीय समितिने फ्री स्टेटके बारेमें हमारे पक्षका पूर्ण रूपसे समर्थन करते हुए व्यापक प्रस्ताव पास किया है और सरकार से आग्रह किया है कि वह मेरे द्वारा प्रस्तुत किया गया हल स्वीकार करे। हॉस्केनने प्रस्ताव तारसे स्मट्स, मेरीमैन, जेमिसन, हंटरको भेजा है।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५३९६ 'ग') की फोटो- नकलसे ।

४६२. पत्र: एल० डब्ल्यू० रिचको

मार्च २३, १९११

प्रिय रिच,

आपके पत्र मिले हैं। काश मुझे आपको और अधिक विस्तारके साथ लिख सकनेका समय होता । मैं इस समय गाड़ी पकड़नेके लिए स्टेशन जा रहा हूँ ।" मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं आपसे बातें करके इस बातकी प्रतीति करा सकता कि फ्री स्टेटवाला मुद्दा हम किसी प्रकार नहीं छोड़ सकते। यूरोपीय समितिके सदस्योंने, जिनके नाम' आपके पास हैं, बिना किसी कठिनाईके पूरे मुद्देको समझ लिया है । यद्यपि श्री डोकने कल सख्तीके साथ मुझसे जिरह की और जैसा कि मैं आपको बता चुका हूँ, मैंने आपकी सम्पूर्ण आपत्तियाँ भी उन्हें पढ़कर सुनाईं, तथापि अब वे भी अपने साथियोंकी ही तरह इस मुद्देपर दृढ़ हैं। हम अध्याय ३३ को रद करनेकी माँग नहीं कर रहे हैं; हम केवल संघीय विधेयकमें शिक्षित भारतीयोंके लिए छूटकी माँग कर रहे हैं, क्योंकि ट्रान्सवालका रंगभेद अब संघके विधेयकमें लाया जा रहा है। नया मुद्दा तो जनरल स्मट्स उठा रहे हैं, क्योंकि वे अपने भाषण और अपने तारोंमें शिक्षित एशियाइयोंके संघके किसी भी भाग में प्रवेश और निवास करनेकी योग्यताको १. सम्भवतः यह उस तारका मसविदा है जो गांधीजीने यूरोपीय समितिकी बैठकके बाद श्री रिचको भेजा था । देखिए पिछला शीर्षक । २. शायद यूरोपीय समितिकी बैठकके बाद लॉली जानेके लिए । ३. देखिए “ यूरोपीय समितिकी बैठककी रिपोर्ट", पृष्ठ ५२१ ।