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४६०. यूरोपीय समितिको बैठकको रिपोर्ट

[ मार्च २३, १९११ ]

परिस्थितिपर विचार करनेके लिए गत मासकी २३ तारीखको श्री हॉस्केनके कार्यालय में जोहानिसबर्गवासी यूरोपीय हितैषियोंकी समितिकी बैठक हुई। अध्यक्षका आसन श्री हॉस्केनने ग्रहण किया। उपस्थित व्यक्तियोंमें ये सज्जन शामिल थे : रेवरेंड जे० जे० डोक, रेवरेंड चार्ल्स फिलिप्स, रेवरेंड जे० हॉवर्ड, रेवरेंड टी० पेरी, श्री ए० कार्टराइट, श्री टी० पी० हैडॉन, श्री डी० पोलॉक, श्री ई० डेलो तथा श्री मो० क० गांधी । निम्न- लिखित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया :

यूरोपीय ब्रिटिश भारतीय समितिकी यह सभा गृह मन्त्री और श्री गांधीके बीच हुए पत्र-व्यवहार (विशेषतया श्री गांधीके मार्च १७ और १९ के तारों और मन्त्री द्वारा उनके २२ मार्चके उत्तर) पर विचार करनेके पश्चात कहना चाहती है कि वह श्री गांधी द्वारा लिखी गई बातोंसे पूर्ण रूपसे सहमत है । उसकी सम्मतिमें श्री गांधीका २२ मार्चका तार मामलेको स्पष्ट और निष्पक्ष रूपसे प्रस्तुत करता है । यह सभा साग्रह निवेदन करती है कि सरकार उसमें सुझाये गये हलको स्वीकार कर ले । समितिको यह जानकर दुःख हुआ है कि गृह मन्त्रीने फ्री स्टेटके बारेमें एक नया मुद्दा उठाना मुनासिब समझा है । यह मुद्दा प्रधान- मन्त्रीके २० दिसम्बर १९१० के उस खरीतेके खिलाफ पड़ता है जिसमें कहा गया हैं, " परन्तु इस कसौटीके होते हुए भी इरादा यह है कि इन अधिकारियोंको हिदायत कर दी जाये कि वे शिक्षित भारतीयोंको एक सीमित संख्या में प्रवेशकी अनुमति दें। इस प्रकार प्रवेश करनेके पश्चात इन लोगोंको संघके किसी भी प्रान्तमें स्थायी निवासका अधिकार प्राप्त रहेगा। यह श्री गांधीके नाम गृह मन्त्रीके ४ मार्चके इस तारके भी खिलाफ पड़ता है जिसमें कहा गया है, कि प्रवासी विधेयकके अन्तर्गत प्रवासीके रूपमें प्रवेश करनेवाले एशियाई पंजीयन कानूनोंके अन्तर्गत नहीं आयेंगे और वे प्रान्तीय सीमाओंसे भी बँधे नहीं रहेंगे ।::

अप्रैल ८, १९११ के 'इंडियन ओपिनियन' के अंग्रेजी अंक और अंशतः गांधीजीकी लिखावटमें प्राप्त मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५३९६ 'ख') की फोटो नकलसे । १. इस रिपोर्ट के मसविदेमें वह प्रस्ताव सम्मिलित है जो २३ मार्चको पास किया गया था, और जिसमें किये गये संशोधन गांधीजीकी लिखावट में हैं ।