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४६७. तार : द० आ० ब्रि० भा० समितिको

जोहानिसबर्ग
मार्च २४, १९११

सरकार पत्नियों, नाबालिगों और वैध निवासियोंको संरक्षण देनेके लिए राजी जान पड़ती है । परन्तु लॉर्ड क्रू के नाम जनरल बोथाके २० खरीते जनरल स्मट्सका गांधीके नाम ४ मार्चके तार तथा द्वितीय वाचनपर उनकी इस घोषणाके बावजूद कि शिक्षित एशियाई प्रवासी संघके किसी भी प्रान्त में बसनेमें समर्थ होंगे जनरल स्मट्स अब कहते हैं कि उन्हें फ्री स्टेटके अपमानजनक पंजीयन कानूनकी अधीनता माननी पड़ेगी इस प्रकार वे उनके प्रवेशपर रोक लगा रहे हैं और संघके प्रवासी कानूनमें रंगभेद पैदा कर रहे हैं । सत्याग्रही बराबर रंगभेदके विरुद्ध लड़ते रहे हैं इसलिए सरकार यदि तीन बार दिये गये उपर्युक्त आश्वासनसे मुकरती है और अब रंगभेद पैदा करती है तो लड़ाई अवश्य ही जारी रहनी चाहिए । सत्याग्रही केवल राष्ट्रीय सम्मान और ब्रिटिश संविधानकी रक्षाके लिए लड़ रहे हैं। कल हॉस्केनके सभापतित्वमें यूरोपीय समितिकी बैठक हुई। उसने भारतीय रुखका समर्थन किया और जनरल स्मट्सको फौरन तार भेजा कि वे उस नीतिको न बदलें जिसका आभास जनरल बोथाके खरीते और स्मट्सके तारसे मिला था । विश्वास है कि साम्राज्य और भारतकी सर- कारें समय रहते कार्रवाई करेंगी ।

मो० क० गांधी

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (सी० ओ० ५५१/२१) की फोटो नकल और गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५३७५) से ।

१. यही तार गो० कृ० गोखलेको भी भेजा गया था। यह टॉइम्स ऑफ इंडियाके २८-३-१९११ के अंकमें प्रकाशित हुआ था । २. देखिए “ यूरोपीय समितिकी बैठककी रिपोर्ट", पृष्ठ ५२१ ।