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प्रस्ताव : नेटाल भारतीय कांग्रेसकी सभा में

है, इस तरीकेसे गुमराह करनेका साहस किया है, तो ऐसे लोगों के बारेमें क्या-कुछ नहीं किया होगा, जिन्होंने उस प्रश्नपर कुछ भी जाननेका कष्ट नहीं किया है। मैंने समिति के सदस्योंके हस्ताक्षरसे एक सार्वजनिक पत्र प्रस्तुत करनेका सुझाव दिया है । पत्र में सदस्यगण उन माँगोंके विषयमें अपनी सम्मति दें, जिनका आग्रह हम प्रारम्भसे ही करते आये हैं। यूरोपीय समाजके उत्तेजित हो उठने की धमकीसे मुझे डर्बनमें प्रदर्शनकारियोंने दिसम्बर १८९६ और जनवरी १८९७ में भीड़को भड़कानेके लिए जो कुछ किया था, उसकी याद हो आती है। यूरोपीय समाज बिलकुल उत्तेजित नहीं है । हाँ, जनरल स्मट्स जरूर उत्तेजित हैं और चाहते हैं कि समाज भी उत्तेजित हो जाये ।

हृदयसे आपका,

मूल टाइप की हुई अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५३५८) की फोटो - नकलसे ।

४७१. प्रस्ताव : नेटाल भारतीय कांग्रेसकी सभा में

[ डर्बन
मार्च २६, १९११]

नेटाल भारतीय कांग्रेसको सभामें निम्नलिखित प्रस्ताव पास हुए : (१) श्री अब्दुल कादिर द्वारा प्रस्तावित :

नेटालके ब्रिटिश भारतीय निवासियोंकी यह सार्वजनिक सभा प्रवासी प्रतिबन्धक विधेयकका, जो इस समय संघ-संसदके समक्ष प्रस्तुत है, जोरदार विरोध करती है; क्योंकि :

(१) उसके द्वारा इस प्रान्तमें, निरपवाद रूपसे, सभी ब्रिटिश भारतीयोंके प्रति निषेधकी नीतिका प्रारम्भ होता है । इस प्रकार इस विधेयकका मन्शा यहाँ रहनेवाले भारतीयोंकी उन सुविधाओंको कम कर देना है जो उन्हें अबतक प्राप्त रही हैं, और जिनके द्वारा वे भारतसे सहायतार्थ मुनीम आदि बुलवा लिया करते थे;

(२) [ विधेयकमें ] इस प्रान्तकी वर्तमान भारतीय आबादीके, खास तौरपर इस प्रान्तमें जन्मे भारतीयोंके, निवासके अधिकारोंको मान्यता देनकी कोई निश्चित व्यवस्था नहीं की गई है;

(३) अभीतक प्रचलित प्रथाके विरुद्ध, प्रस्तुत विधेयक में निवास सम्बन्धी प्रमाणपत्र देना- न देना शासनकी मर्जीपर छोड़ दिया गया है;

(४) प्रतीत होता है कि ऐसी व्यवस्था भी नहीं की गई है जिससे प्रवासी अधिकारी द्वारा निषिद्ध प्रवासी घोषित किये जानेपर लोगोंको अदालतके सामने अपने अधिकारोंका दावा करने में सहायता मिले; १. देखिए खण्ड २, पृष्ठ १८३-८८ । २, देखिए " पत्र : एच० एस० एल० पोलकको ", पृष्ठ ५२० । १०-३४