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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मान्यता भी दे रहा हूँ । परन्तु आप ज्यादती कर रहे हैं। आपका मुद्दा तो बिलकुल नया है ।

गांधी : जनरल स्मट्स, आप यह कैसे कह सकते हैं? क्या आप जातिभेद पैदा नहीं कर रहे हैं ?

स्मट्स : नहीं, कदापि नहीं । क्या आप यह सिद्ध कर सकते हैं ?

गांधी : बेशक, यह तो आप स्वीकार करेंगे कि पिछले चार वर्षोंसे हम बराबर जाति या रंगपर प्रतिबन्धके विरुद्ध लड़ते रहे हैं।

स्मट्सने आँखें गड़ाकर देखा और फिर कुछ झिझकते हुए कहा,--हां

गांधी : आप जानते हैं कि ट्रान्सवाल प्रवासी कानून में रंगपर नहीं है । परन्तु यदि आप उसका [ उपखण्ड ४] और एशियाई कानून [ मिला- कर ] पढ़ें तो प्रतिबन्ध लग जाता है ।

स्मट्स : आप इसे उचित ढंगसे पेश नहीं कर रहे हैं।

गांधी : तब आप इसे स्वयं अपने शब्दोंमें कह दीजिए ।

स्मट्स : हम ट्रान्सवालमें पूर्ण निषेव चाहते थे और दोनों कानूनोंके संयुक्त प्रभावसे यह सम्भव हो सका है।

गांधी : और अब आप फ्री स्टेटके लिए भी पूर्ण निषेध चाहते हैं, और नये विधेयक तथा फ्री स्टेटके कानूनको मिला दें तो हैदराबादके निजामको भी निषिद्ध ठहराया जा सकता है। सत्याग्रही निश्चय ही इसके विरुद्ध लड़ेंगे। स्मट्स : आपकी यह बात युक्तिसंगत नहीं है। गांधी: मैं इसे नहीं मानता । सचमुच एक भी भारतीय फ्री स्टेटमें दाखिल होता है या नहीं, मैं इस बात के लिए बिलकुल चिन्तित नहीं हूँ। मैं सच्चे मनसे आपकी सहायता करना चाहता हूँ ।

स्मट्स : आप मेरी कठिनाइयाँ नहीं जानते ।

गांधी : जानता हूँ, और इसीलिए मेरा सुझाव है कि फ्री स्टेटके कानूनके केवल उतने ही भागको छूटका आधार बनाया जाये जिससे किसी अत्यन्त शिक्षित भारतीयका ही फी स्टेटमें प्रवेश सम्भव हो सके। यदि आप उस कानूनको मँगवा भेजें तो मैं आपसे बताऊँगा कि मेरा क्या तात्पर्य है ।

स्मट्स : ( कानून लानेको कहते हैं) परन्तु की स्टेटवाले इसके लिए कभी राजी नहीं होंगे।

गांधी : तब फिर जनरल बोथाने लॉर्ड क्रू को यह किस लिए लिखा कि शिक्षित प्रवासी किसी भी प्रान्तमें प्रवेश कर सकेंगे ?

स्मट्स : आपको सब खरीतोंका पता नहीं है। आप जानते हैं, हमने सभी बातें मुद्रित नहीं कीं। लॉर्ड क्रू को मालूम है कि फ्री स्टेटमें ऐसे अधिकार देनेका हमारा इरादा कभी नहीं रहा ।


गांधी : परन्तु द्वितीय वाचनके समय तो आपने भी वही बात दोहराई थी ।