अब हम मंजिलके बहुत पास जा पहुँचे हैं और यदि हम सत्याग्रहपर दृढ़ रहकर काम करते रहे तो जीत बेशक हमारी ही होगी । नये विधेयकमें हमारे प्रति सबसे अधिक अपमानजनक बात यह है कि हमारे पढ़े-लिखे लोग ऑरेंज फ्री स्टेटमें नहीं जा सकते; और वहाँका प्रजाति-भेदपर आधारित कानून भी अक्षुण्ण रहेगा । यह बात हम सबके लिए अपमानजनक है । हम ट्रान्सवाल और नेटालके लोग दृढ़तापूर्वक इसका विरोध कर रहे हैं; और मुझे यह देखकर बड़ी खुशी होती है कि केपके भारतीय भी साथ हो गये हैं । यदि सब एकत्र होकर सत्याग्रह करेंगे, तो जीत बेशक हमारी ही होगी ।
इसके बाद गांधीजीने जनरल स्मट्सके साथ जो पत्र-व्यवहार हुआ था उसके बारेमें बताया और यह भी बताया कि टॉल्स्टॉय फार्ममें सत्याग्रहियों के कुटुम्ब किस प्रकार रहते हैं और उन्हें कितना और क्या व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता है । अन्तमें उन्होंने dusht ऋतुके कारण आश्रममें रहनेवाले लोगोंकी कम्बल, कपड़े इत्यादि साधनोंकी सख्त जरूरतका भी उल्लेख किया।
इंडियन ओपिनियन, २२-४-१९११
४८१. तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको
क्लफ स्ट्रीट
[ केप टाउन ]
मार्च ३१, १९११
रम्भाबाईकी अपील करनेकी प्रार्थना स्वीकृत | चौबीस तारीखको ब्लूमफाँटीनमें सुनवाई। कल भारतीयोंकी खासी सभाएँ हुईं । सार्वजनिक सभा रविवारको ।
गांधी
अंग्रेजी तार (एस० एन० ५३९४) की फोटो - नकलसे ।