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४७९. तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको

७, ब्यूटेनसिंगल [ स्ट्रीट ]
केप टाउन
मार्च ३०, १९११

कैलेनबैकसे पूछिए, रिच माउन्टेन व्यूमें कुछ दिन रह सकते हैं या नहीं । विधेयकपर कुछ दिन विचार स्थगित । होनेसे पहले सब निपट जायेगा ।

गांधी

अंग्रेजी तार (एस० एन० ५३९१) की फोटो नकलसे ।

४८०. भाषण : केप टाउनके स्वागत समारोहमें

भाइयो, आप लोगोंने मेरे लिए जो कष्ट उठाया है, उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ । आप यदि मेरे और मेरे कामके प्रति स्नेह रखते हों, तो मैं आपसे यही प्रार्थना करूँगा कि आप भी उसमें हाथ बँटाएँ । आपने मेरी जो प्रशंसा की, मैं अपनेको उसके योग्य नहीं मानता। मैंने जो कुछ किया है और मैं जो कुछ करता हूँ उस सभीका कारण मेरी धर्मंके प्रति तत्परता है। आप सब लोग जानते हैं कि प्रह्लादने अपने पिताका विरोध किया। वे लोहेके खम्बेसे बांधे गये । और भी अनेक संकट उन्होंने उठाये। किन्तु उसका कारण पिताके प्रति अश्रद्धा नहीं, बल्कि अधर्मके प्रति अश्रद्धा ही है । भाइयो, उसी प्रकार हमने सरकारके विरोध में जो सत्याग्रह किया है, वह इसलिए नहीं किया कि हमें सरकारके प्रति द्वेष है, बल्कि इसलिए कि धर्म असत्यके विरोधका आदेश देता है। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि सत्याग्रहका अर्थ है जेल जाना; किन्तु बात ऐसी नहीं है । असत्यके मुकाबलेमें सत्यपर दृढ़ रहनेका नाम सत्याग्रह है । सत्याग्रह किसी भी स्थान अथवा प्रसंगपर, कोई भी व्यक्ति • वह बिलकुल अकेला ही क्यों न हो - कर सकता है; और यदि कोई श्रद्धापूर्वक इसपर दृढ़ रहे तो वह हमेशा विजयी होता है। सत्याग्रह करके ऊबना या निराश होना सत्याग्रह नहीं कहा जा सकता । सत्याग्रहसे ट्रान्सवालमें प्राप्त विजयकी आप इतनी प्रशंसा करते हैं; इसीसे उसके अमूल्य होनेका अनुमान लगाया जा सकता है।

[ प्रवासी विधेयकके बारेमें बोलते हुए गांधीजीने कहा : ]

१. ३० मार्च १९११ को श्री रिच और गांधीजीके सम्मानमें केप टाउनके हिन्दू संघोंने मिल-जुलकर एक विशिष्ट सम्मान सभाका आयोजन किया था ।