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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आपके पिछले पत्र मुझे नहीं दीख पड़े। अलबत्ता जे० डासकी' लिखी हुई आपकी जीवनी हाथ आई है जो आपके व्यक्तित्वको अधिक अच्छी तरह समझने में सहायक हुई है ।

आजकल मेरा स्वास्थ्य पूर्ण रूपसे ठीक नहीं है इसलिए मुझे जो-कुछ आपकी पुस्तकके विषय में तथा आपके समूचे कामके बारेमें लिखना है, वह सब नहीं लिख रहा हूँ। मैं आपके कामकी हृदयसे सराहना करता हूँ । स्वास्थ्य सुधरते ही लिखूँगा ।

आपका मित्र और बन्धु...

[ अंग्रेजीसे ]
महात्मा, खण्ड १

परिशिष्ट ४ केन्द्रीय दक्षिण आफ्रिकी रेलवेके महाप्रबन्धककी ओरसे गांधीजीको पत्र

जोहानिसबर्ग
अप्रैल ११, १९१

महोदय,

आज सुबह रेलवे प्रशासनके वकील श्री बेल, सहायक जनरल मैनेजर श्री हॉय साथ हुई श्री काछलिया और आपकी भेंटके सम्बन्धमें, में करारके अनुसार उस चर्चाके दौरान तय हुई बातोंका सारांश यहाँ लिखित रूपमें प्रस्तुत कर रहा हूँ। वह इस प्रकार है : (१) २२१ से २२४ तक्के चार नियमोंको इस तरह बदल दिया जाये :

२२१. जनरल मैनेजर द्वारा विभिन्न जातियोंके यात्रियों के लिए, जहाँ सम्भव हो, रेलगाड़ियोंमें अलग- अलग डिब्बे निश्चित करना कानून की रू से ठीक होगा, और वे यात्री, जिनके लिए डिब्बे उस प्रकार सुरक्षित किये गये हैं, केवल उन्हीं डिब्बोंमें बैठकर यात्रा कर सकेंगे; दूसरे डिब्बों में नहीं; अन्य डिब्बे उनके नहीं माने जायेंगे । इस प्रकार सुरक्षित रखे गये डिब्बों- पर ' सुरक्षित' लिख दिया जायेगा ।

२२२. गार्ड या कन्डक्टर अथवा किसी भी अन्य रेलवे अधिकारीको बिना कोई कारण बतलाये, एक डिब्बेसे. यात्रियोंको उतार दूसरे डिब्बेमें स्थान देनेका अधिकार होगा ।

२२३. स्टेशन मास्टर या अन्य कोई भी अधिकृत अफसरको किसी भी ऐसे यात्रीको, जो उसकी राय में शिष्ट वेश-भूषा या साफ-सुथरी पोशाक में न हो, पहले या दूसरे दर्जेका टिकट देनेसे इनकार करनेका अधिकार होगा ।

२२४. अधिनियमकी धारा ४२ द्वारा निर्धारित जुर्मानेकी व्यवस्था नियम २२१ से २२३ तक के - तीन नियमों के किसी भी — जिसमें नियम २२१ और मुद्देके उल्लंघनके हर मामलेपर लागू होगी ।

(२) श्री काछलियाकी तथा उस समाजकी, जिसका आप प्रतिनिधित्व करते हैं, इच्छा और विचारोंके ख्यालते ही नियमोंकी शब्दावलीमें उपर्युक्त परिवर्तन किये गये हैं ।

(३) प्रशासनने सौंपे गये प्राधिकार और विनियमोंका अभीतक जिस ढंगसे निर्वाह किया है उसे एशियाई समाजने ठीक माना है; कुछ मामलोंकी ओर विशेष रूपसे ध्यान आकर्षित किया गया है और १. वास्तव में रेवरेंड जे० जे० ढोककी; देखिए खण्ड ९, पृष्ठ ५३४ ।