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परिशिष्ट

कैदियों को रोजाना एक औंस चर्बी मिलती है, लेकिन भारतीय कैदियोंको शुरूके तीन महीनों तक घी-तेल वगैरा कुछ नहीं दिया जाता । यह परिवर्तन तबसे किया गया, जबसे भारतीयोंने शिकायत की कि वे वहाँ दी जानेवाली चर्बी नहीं ले सकते । नतीजा यह हुआ कि जोहानिसबर्ग की तरह घी मिलनेकी माँग करनेपर घी-तेल सब कुछ बन्द कर दिया गया । इसका परिणाम कई भारतीय कैदियोंके लिए बहुत भयानक हुआ है। डीपक्लूफमें कैदियोंको मैले इत्यादिकी बाल्टियाँ ढोनेपर विवश किया जाता था । अधिकांश भारतीयोंको वह काम बहुत घृणित लगता है, फिर भी हममें से बहुतों का खयाल यह था कि यदि शरीर साथ दे तो सत्याग्रही होनेके नाते हमें किसी भी अरुचिकर से अरुचिकर कामको करनेमें आपत्ति न करनी चाहिए । लेकिन हममें से एकने उसे अन्तःकरणका प्रश्न मान लिया था । और इसलिए वह ३३ दिन तनहाईमें डाल दिया गया और उसे इस अवधि में आधेसे अधिक दिनों तक आधी खूराकपर रहना पड़ा । मैं छोटी- मोटी बातों 1 - जैसे यूरोपीय और वर्तनी वार्डरों द्वारा निरन्तर किया जानेवाला अपमानजनक व्यवहार – का उल्लेख यहाँ कर ही नहीं रहा हूँ; अधिकांश वार्डर भारतीय कैदियोंको वार्डरोंके लिए 'हुजूर' इत्यादि शब्दों का प्रयोग करनेपर मजबूर किया करते थे । यद्यपि यह कानूनके खिलाफ है ।

समझमें नहीं आता कि सरकारने इस बार मुझे क्यों छोड़ रखा है और मुझे निर्वासित नहीं करती। चूंकि मेरा व्यापार लगभग चौपट हो गया है, इसलिए अभी कुछ समय तक मुझे नेटालमें ही बने रहना चाहिए । मुझे अपने स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देनेकी जरूरत है, लेकिन मैं सरकारको आश्वस्त कर देना चाहता हूँ कि अभी भी कुछ ऐसे भारतीय बचे हुए हैं जिनको सरकारकी कोई भी कठोरता घुटने टेकनेपर मजबूर नहीं कर सकती। मैं भी उनमें से एक हूँ। और, मुझे जल्द ही सरकारको ऐसा अवसर देनेका श्रेय मिलेगा कि वह मुझे डीपक्लुफ जेलमें या उसकी पसन्दके अन्य किसी भी स्थानपर भेज सके ।

आपका
पारसी रुस्तमजी जीवनजी

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ५-३-१९१०

कलोनियल आफिस रेकर्डस (सी० डी० ५३६३) ।

परिशिष्ट ३ टॉल्स्टॉयका गांधीजीको पत्र

यास्नाया पोल्याना
मई ८, १९१०

प्रिय मित्र,

आपका पत्र और आपकी पुस्तक 'इंडियन होमरूल' [ हिन्द स्वराज्य ] अभी मिले हैं। मैंने आपकी पुस्तक बड़ी दिलचस्पीके साथ पढ़ी, क्योंकि मेरा खयाल है कि जिस प्रश्नकी - सत्याग्रहकी आपने उसमें चर्चा की है, वह न केवल भारतके लिए बल्कि समस्त मानव-जातिके लिए बड़े महत्त्वका है। १. श्री शेलत