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तारीखवार जीवन - वृत्तान्त

( नवम्बर १३, १९०९ से मार्च, १९११ )

नवम्बर १३ : ट्रान्सवालके भारतीय शिष्टमण्डल (गांधीजी और हाजी हबीब ) का इंग्लैडसे दक्षिण आफ्रिकाके लिए प्रस्थान । भारतके वाइसरॉय लॉर्ड मिन्टोकी हत्याका अहमदाबादमें विफल प्रयास ।

नवम्बर १३ -२२ : 'किल्डोनन कैसिल' नामक जहाजपर अपनी यात्राके दौरान गांधीजीने गुजरातीमें 'हिन्द स्वराज्य' नामक पुस्तक लिखी ।

नवम्बर १५ : भारत सरकार द्वारा मॉर्ले-मिन्टो सुधारोंको लागू करने की योजना प्रकाशित ।

नवम्बर १६ : इंग्लैंडकी लॉर्ड सभामें उपनिवेश मन्त्रीने लॉर्ड ऍम्टहिलको बताया कि ट्रान्सवालमें भारतीयोंकी समस्याको हल करनेके लिए उपनिवेश मन्त्रालय और दक्षिण आफ्रिकी संघके प्रतिनिधियों द्वारा बहुत प्रयत्न किये गये हैं। साथ ही यह वादा भी किया कि हाल ही में हुई समझौता वार्ताका विवरण एक 'नीली पुस्तिका' में प्रकाशित किया जायेगा ।

नवम्बर १८ : गांधीजीने "टॉल्स्टॉयके पत्रः एक हिन्दूके नाम " की प्रस्तावना गुजराती में लिखी ।

नवम्बर १९ : " टॉल्स्टॉयके पत्र : एक हिन्दूके नाम " की प्रस्तावना अंग्रेजीमें लिखी ।

नवम्बर ३० : गांधीजी हाजी हबीबके साथ केप टाउन पहुँचे । 'केप आगर्स के प्रतिनिधिसे भेंट की । ट्रान्सवालके संघर्षकी सहायतार्थ श्री रतन टाटा द्वारा दिये गये पच्चीस हजार रुपये के दानके लिए धन्यवाद देते हुए श्री गोखलेको तार किया। बड़ौदा राज्यके प्रधानमन्त्री श्री रमेशचन्द्र दत्तका देहान्त ।

दिसम्बर १ : कॉमन्स सभामें कर्नल सीलीने स्वीकार किया कि ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंके आव्रजनके विरुद्ध रंग-भेदपर आधारित जो प्रवासी कानून है, उससे कहीं अधिक सख्त कानून ऑरेंज रिवर कालोनी में लागू है।

दिसम्बर २ : गांधीजी जोहानिसबर्ग पहुँचे । पार्क स्टेशनपर रायटर के संवाददाताको भेंट देते हुए सरकारको धन्यवाद दिया कि उसने उन्हें और हाजी हबीबको ट्रान्सवालमें पुनः प्रवेशकी अनुमति दी ।

दिसम्बर ३ : जोहानिसबर्ग में तमिल महिलाओं की सभामें भाषण । 'स्टार 'के अग्रलेखका उत्तर देते हुए लिखा कि "जहाँतक प्रवासका सम्बन्ध है, कानून में समानताके सिद्धांतको स्थापित किया जाये, भले ही व्यवहार रूप में उसकी जानबूझकर अवहेलना ही हो। " कलकत्तामें आयोजित एक सार्वजनिक सभा में ट्रान्सवालके भारतीयोंके साथ होनेवाले व्यवहारकी निन्दा की गई।