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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दिसम्बर ४ : कलकत्ताकी सभामें श्री पोलक द्वारा "दक्षिण आफ्रिकी संघर्षके गैर- " राजनीतिक पहलूपर भाषण 1

दिसम्बर ५ : जोहानिसबर्ग में शिष्टमण्डलके स्वागतार्थ आयोजित सार्वजनिक सभामें बोलते हुए गांधीजीने श्री हॉस्केनकी समिति और यूरोपीय मित्रोंको उनकी सहायता के लिए धन्यवाद दिया । सभाने निश्चय किया कि जबतक सुसंस्कृत ब्रिटिश भारतीयोंको अन्य प्रवासियोंके समान ही कानून और सैद्धांतिक समानता नहीं प्रदान की जाती तबतक कष्ट सहन करते हुए संघर्ष जारी रखा जायगा । जोहानिसबर्ग में आयोजित चीनियोंकी सभामें गांधीजीने शिष्टमण्डलके कार्योंका विवरण दिया। काछलिया और कैलेनवैकके साथ डीपक्लूफ गये, जहाँ जेलमें उन्होंने रुस्तमजी और अस्वातसे भेंट की ।

दिसम्बर ६ : गांधीजीने ट्रान्सवाल-संघर्षके आर्थिक और अन्य पहलुओंपर प्रकाश डालते हुए श्री गोखलेको एक पत्र लिखा और १,००० पौंड भेजनेका अनुरोध किया ।

दिसम्बर १० : 'रैंड डेली मेल'ने अपने अग्रलेखमें ट्रान्सवाल सरकारसे अनुरोध किया कि वह भारतीयोंकी सैद्धान्तिक समानताकी माँग स्वीकार कर ले।

दिसम्बर २० : डर्बनकी सार्वजनिक सभामें बोलते हुए गांधीजीने कहा कि व्यापारिक अनुमतिपत्रोंके सम्बन्धमें सरकारने अपील करनेकी जो व्यवस्था की है, वह एक जाल है ।

दिसम्बर २१ : नासिकके कलेक्टर, ए० एम० टी० जैक्सनकी हत्या

दिसम्बर २२ : गांधीजीने अपने पुत्र मणिलाल, रायप्पन तथा अन्य लोगोंके साथ नेटालसे ट्रान्सवालमें प्रवेश किया, किन्तु गिरफ्तार नहीं किये गये ।

दिसम्बर २३ : ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्षने उपनिवेश सचिवको पत्र लिखकर

१७ दिसम्बर, १९०९ के गज़टमें प्रकाशित रेलवे विनियमोंको अनावश्यक, खिझानेवाले और अपमानजनक बताया

दिसम्बर २४ : गांधीजीने फोनिक्स सम्बन्धी अपनी योजनाके आर्थिक तथा अन्य पहलुओं के बारेमें ए० एच० वेस्टको पत्र लिखा । श्री शेलत ६ माहकी जेल भोगकर रिहा हुए।

दिसम्बर २५ : इंग्लैंडकी शाही परिषदके सदस्य नियुक्त किये जानेपर श्री अमीर अलीको गांधीजीने बधाई देते हुए पत्र लिखा ।

दिसम्बर २९ या उससे पूर्व : फीनिक्सके बारेमें वेस्टको एक दूसरा पत्र लिखा ।

दिसम्बर २९ : लाहौर अधिवेशन में कांग्रेसने दक्षिण आफ्रिकाके संघर्षकी सराहना करते हुए और गिरमिटिया मजदूरोंकी भर्ती बन्द करनेकी माँग करते हुए एक प्रस्ताव पास किया।

दिसम्बर ३१ : सर मंचरजी भावनगरीने उपनिवेश उपमन्त्रीको एक पत्र लिखकर उनका ध्यान पारसी रुस्तमजी के साथ जेलमें होनेवाले दुर्व्यवहारकी ओर आकृष्ट किया। १९१० जनवरी १ : आर्थिक कारणोंसे 'इंडियन ओपिनियन' का आकार छोटा कर दिया गया ।