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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

मद्रासके विक्टोरिया हॉलमें सर एस० सुब्रह्मण्यम् के सभापतित्वमें एक सभा हुई जिसमें निर्वासित भारतीयोंको उनके ट्रान्सवालके लिए पुनः रवाना होनेके अवसरपर विदाई दी गई। सभामें श्रीमती एनी बेसेंट भी उपस्थित थीं ।

अगस्त २५ : केप टाउनकी नगर परिषदने प्रस्ताव पास करके समस्त भारतीयोंको व्यापारी अनुमतिपत्र न देनेका निश्चय किया ।

सितम्बर २: श्री रिचने पंजीयन कानून और ट्रान्सवालसे भारतीयोंके निर्वासनके बारेमें उपनिवेश कार्यालयके अगस्त १३ के पत्रका उत्तर दिया ।

सितम्बर ७ : टॉल्स्टॉयने गांधीजीको पत्र लिखकर सत्याग्रहका समर्थन किया । सितम्बर १० : गांधीजीने अदालत द्वारा छोटाभाईकी अपील रद करने और नाबालिग एशियाइयोंपर अदालतके फैसलेके प्रभावका जिक्र करते हुए इंडियन ओपि- नियन ' में लिखा ।

सितम्बर १३ : सर्वोच्च न्यायालयने छोटाभाईकी अपील रद की और उनसे खर्चा दिलाया।

सितम्बर १७ : गांधीजी भारतसे लौटनेवाले निर्वासित भारतीयों और श्री पोलकका स्वागत करनेके लिए डर्बन रवाना हुए।

सितम्बर २० : उपनिवेशमें ही पैदा हुए भारतीयोंकी एक सभामें भाषण किया । लौटनेवाले निर्वासित भारतीयोंके स्वागतका कार्यक्रम तय करनेके लिए आयोजित काठियावाड़ आर्य-मण्डलकी सभा में भाषण ।

सितम्बर २४ : 'इंडियन ओपिनियन' में लिखकर डॉ० रुबुसानाको टैम्बुलैंडकी ओरसे केपकी प्रान्तीय परिषद के सदस्य निर्वासित होनेपर बधाई दी ।


सितम्बर २६ : एशियाइयोंके सम्बन्धमें अगस्त ८, १९१० तक बनाये गये कानूनोंका हवाला देनेवाली 'नीली पुस्तिका' प्रकाशित ।

सितम्बर २८ : गांधीजी श्री पोलकसे मिले। श्री पोलक अन्य निर्वासित भारतीयोंके साथ भारतसे डर्बन पहुँचे थे ।

अक्तूबर ४ : श्री रिचने इंग्लैंड से लौटनेपर 'केप आर्गस' के प्रतिनिधिको भेंट दी । अक्तूबर ५ : श्री पोलक और अन्य सत्याग्रहियोंके सम्मानमें काठियावाड़ आर्य-मण्डल द्वारा डर्बनमें आयोजित समारोहमें गांधीजीने भाषण दिया ।

अक्तूबर ७ : ट्रान्सवाल जानेके इच्छुक भारतीयोंके एक दलको प्रवासी अधिकारियोंने जहाजसे उतरनेकी अनुमति नहीं दी थी। इसके विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में ब्रिटिश भारतीय लीगके अध्यक्षकी याचिका पर सुनवाई हुई।

अक्तूबर ८ : गांधीजीने निर्वासितोंको जहाजसे उतरने देनेके विषयमें गृह मन्त्रीको लिखा । अक्तूबर १६ : नारायणस्वामीकी मृत्यु ।

१६ अक्तूबर के बाद : गांधीजीने दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति (लन्दन) को एक पत्र लिखा जिसमें नारायणस्वामीकी मृत्युको 'कानून की आड़ में हत्या बताया ।

अक्तूबर २५ : एशियाई पंजीयकको पत्र लिखकर अनुरोध किया कि वह मुख्य प्रवासी प्रतिबन्धक अधिकारीसे कह दे कि अदालतके आदेशानुसार जो भारतीय सैलिसबरी