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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भारतीय महिलाओंके बच्चोंके लिए छायाकी व्यवस्था करना गिरमिटिया भारतीय प्रवासियोंसे काम करानेवाले मालिकोंके लिए अनिवार्य करार दिया गया। निर्वासित करके भारत भेजे गये सत्याग्रहियोंके लिए श्री जी० ए० नटेसन द्वारा किये गये कार्योंकी गांधीजीने सराहना की।

जुलाई २२ : भारत मन्त्री लॉर्ड मॉर्लेने उपनिवेश मन्त्री लॉर्ड क्रू को पत्र लिखकर इस बातपर खेद व्यक्त किया कि ट्रान्सवाल सरकारने जेलमें मुसलमान बन्दियोंको रमजान के महीने में रोज़े आदि रखनेकी सहूलियत देनेसे और हिन्दू कैदियोंको उनकी धार्मिक भावनाको ठेस पहुँचानेवाले कामोंसे छुटकारा देनेसे इनकार कर दिया है।

जुलाई २६ : लॉर्ड ऍम्टहिलने ट्रान्सवालसे भारतीयोंके निर्वासनका प्रश्न लॉर्डसभामें उठाया।

जुलाई २८ : ब्रिटिश भारतीय संघने दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति (लन्दन) को तार देकर सूचित किया कि श्री रायप्पनको निर्वासित करके नेटाल भेज दिया गया है, और सरकार नाबालिग बच्चोंको निषिद्ध प्रवासी करार देनेकी कोशिश कर रही है ।

जुलाई ३० : गांधीजीने चर्चिल द्वारा कॉमन्स सभामें दिये गये इस वक्तव्यपर टिप्पणी की कि मताधिकारकी माँग करनेवाली महिला सत्याग्रहियों और दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहियों के साथ जेलमें अपमानजनक व्यवहार न करनेके आदेश दे दिये गये हैं ।

अगस्त ३ : लन्दन में सर मंचरजी भावनगरीकी अध्यक्षतामें सार्वजनिक सभा हुई जिसमें ट्रान्सवालके भारतीयोंके साथ होनेवाले दुर्व्यवहार और निर्वासनपर क्षोभ व्यक्त किया गया ।

अगस्त ५ : श्री गोखलेने शाही परिषदमें ट्रान्सवालसे निर्वासित किये जानेवाले व्यक्तियोंके सम्बन्धमें प्रश्न पूछे ।

अगस्त ६ : उपनिवेश-मन्त्रीने लॉर्ड मार्लेके २२ जुलाईवाले पत्रको लॉर्ड ग्लैडस्टनके पास भेजते हुए लिखा कि भारतीयोंकी धार्मिक भावनाको ठेस पहुँचानेवाली हर बात समझौते के मार्गमें बहुत बड़ी बाधा है ।

अगस्त ९ : लॉर्ड मॉर्लेने इस बातका खण्डन किया था कि डेलागोआ बेसे बम्बई तक की यात्रामें निर्वासित भारतीयोंके साथ बहुत सख्तीका बर्ताव किया गया। इसीके आधारपर 'रैंड डेली मेल' ने एशियाइयोंकी तत्सम्बन्धी शिकायतोंको अतिशयोक्ति बताते हुए एक अग्रलेख लिखा था। गांधीजीने इसका उत्तर भेजा ।

अगस्त १३ : उपनिवेश कार्यालयने लन्दनमें ३ अगस्तको होनेवाली सभाके विषय में सर मंचरजी भावनगरी और श्री रिचको लिखा ।

अगस्त १५ : गांधीजीने टॉल्स्टॉयको पत्र लिखा ।

अगस्त २३ : क्रूगर्सडॉर्पके व्यापारी श्री छोटाभाईके पुत्रके बालिग होनेपर एशियाई पंजीयकने उसे पंजीकृत करनेसे इनकार कर दिया था। श्री छोटाभाईने इस फैसलेके विरुद्ध अपील की।