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प्रकार शत्रुता करते थे, यह सब 'हिस्ट्री' में मिल जाता है। यदि यही इतिहास होता, यदि [ दुनियामें ] इतना ही हुआ होता, तो दुनिया कबकी डूब गई होती । यदि संसारकी गाथा लड़ाईसे शुरू हुई होती, तो आज एक भी आदमी जीवित न होता । जो जाति लड़ाईका शिकार बन गई, उसकी ऐसी ही दशा हुई है। आस्ट्रेलियाके हब्शियोंका नामोनिशान मिट गया। आस्ट्रेलियाके गोरोंने उनमें से कदाचित् ही किसीको जीवित छोड़ा है। ये लोग जो जड़-मूलसे नष्ट हो गये, सत्याग्रही नहीं थे। जो जीवित रहेंगे, वे देखेंगे कि आस्ट्रेलियाके गोरोंका भी यही हाल होगा । 'जो तलवार चलाते है, उनकी मौत तलवारसे होती है', 'तैरनेवालेकी मौत पानीमें इस तरहकी कहावतें हम लोगोंमें है।

दुनियामें आज भी इतने लोग जिन्दा हैं, इससे सिद्ध होता है कि संसारकी नींव शस्त्र बलपर नहीं है, बल्कि सत्य, दया अथवा आत्मबलपर है। इसलिए जबरदस्त ऐतिहासिक प्रमाण तो यही है कि संसार युद्धके हंगामोंके बाद भी बचा हुआ है। इसलिए शस्त्र बलकी बजाय [यह ] दूसरा बल ही उसका आधार है ।

हजारों बल्कि लाखों मनुष्य प्रेमसे रहकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं । करोड़ों परिवारोंके छोटे-छोटे झगड़े प्रेम-भावनामें डूब जाते हैं। सैकड़ों कौमें मिल-जुल कर रही हैं। 'हिस्ट्री' इनका उल्लेख नहीं करती । कर भी नहीं सकती। जब इस दया, प्रेम अथवा सत्यका प्रवाह रुद्ध हो जाता है, अथवा टूट जाता है, तभी उसका उल्लेख इतिहास में किया जाता है। किसी कुटुम्बके दो भाई लड़े। इसमें एक दूसरेके मुकाबले सत्याग्रहका प्रयोग किया। बादमें दोनों प्रेमसे रहने लगे। इसका उल्लेख कौन करता है? यदि इन दोनों भाइयोंमें वकीलकी मददसे अथवा अन्य कारणोंसे शत्रुता बढ़ जाती, वे हथियार अथवा अदालतके जरिये (अदालत भी एक प्रकारका हथियार या शरीर-बल ही है) लड़ते, तो उनके नाम अखबारमें आते, अड़ोस-पड़ोस के लोग जानते, और शायद इतिहासमें भी उनका उल्लेख हो जाता । जैसा कुटुम्बों, समुदायों और संघोके बारेमें, वैसा ही राष्ट्रोंके बारेमें भी समझिए । कुटुम्बोंके लिए एक नियम और राष्ट्रोंके लिए दूसरा, ऐसा माननेका कोई कारण नहीं है। 'हिस्ट्री' अस्वाभाविक बातोंको दर्ज करती है। सत्याग्रह स्वाभाविक है, इसलिए उसका उल्लेख करनेकी जरूरत नहीं होती ।

पाठक: आप जैसा कहते हैं उसके अनुसार ऐसा [ अवश्य ] लगता है कि सत्याग्रहके उदाहरण इतिहासमें दर्ज नहीं किये जा सकते । मैं सत्याग्रहको और भी अधिक समझना चाहता हूँ । आप क्या कहना चाहते हैं, उसे कृपया अधिक स्पष्ट शब्दोंमें बतायें तो अच्छा हो ।

सम्पादक : सत्याग्रह अथवा आत्मबलको अंग्रेजीमें 'पेसिव रेजिस्टेन्स' कहते हैं । यह शब्द जिन लोगोंने अपने हक पानेके लिए स्वयं दुःख सहन किये, उनकी हक प्राप्त करनेकी रीतिके लिए बरता गया है। इसका हेतु युद्ध-बल [ के हेतु] से बिलकुल उलटा है। जब मुझे कोई काम पसन्द न आये और मैं वह काम न करूँ, तो मैं सत्याग्रह अथवा आत्मबल काममें लाता हूँ ।



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