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विश्वासघात

इसके साथ हमें जिन टाइपोंकी जरूरत है, उनकी सूची है। इनके पैसे मैं नहीं चुका सकता। और फिलहाल तो ऐसी सुविधा भी नहीं है कि किसी और जगहसे ले सकूँ। टाइपोंके विषयमें मैं रेवाशंकरभाईको अलगसे नहीं लिख रहा हूँ। यदि आपको ठीक मालूम हो, तो आप इस सूचीको उन्हें भेज दें और 'टाइप' भिजवानके लिए कह दें।

मोहनदासका वन्देमातरम्

गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ५६३३) से।

सौजन्य : सी० के० भट्ट।

१५२. विश्वासघात

तीन-पौंडी कर अधिनियमका जो परिणाम कानूनी पहलूसे होगा सो तो है ही; उसके अतिरिक्त पिछले हफ्ते हमने इसी स्तम्भमें जिस परिपत्रका[१] जिक्र किया था उसके आशयको बारीकीसे समझना भी आवश्यक है। कुछ ऐसे मामले भी होते हैं जिनमें कानूनी वाक्छलको जानबूझकर दरकिनार कर देना पड़ता है। ३ पौंडी करका मामला हमारी रायमें साफ तौरपर एक ऐसा ही मामला है। नेटालकी भतपूर्व सरकार अपने परिपत्र द्वारा इस बातके लिए वचनबद्ध हो गई थी कि दोबारा गिरमिटिया करार करनेवाले भारतीय उक्त करसे सर्वथा मुक्त रहेंगे। हमारे मतसे परिपत्रके अंग्रेजी पाठका इसके अतिरिक्त कोई दूसरा अर्थ नहीं निकलता। किन्तु उसके [ विभिन्न भाषाओंमें] अनूदित पाठोंसे तो सरकार और ज्यादा बँधी हुई है। क्योंकि लोगोंने उन्हींके अनुसार काम किया। सरकारको व्याख्याका यह सीधा-सादा नियम अपनाना चाहिए कि परिपत्रका अर्थ वही है जो सम्बन्धित व्यक्तियोंकी बुद्धिको अँचा और जो उन्होंने लगाया। लोगोंने क्या अर्थ लगाया, उसके बारेमें सन्देहके लिए अब कोई भी गुंजाइश नहीं रह गई है। यह तो हुआ परिपत्र और उसके परिणामके बारेमें।

संघ-सरकार परिपत्रके आदेशोंकी अवज्ञा करके अधिनियमकी व्याख्या करने और उसे लागू करनेके प्रयासमें अत्याचारीके पशु-बलका सहारा ले रही है। हमारा कहना है कि यदि संघ-सरकार दक्षिण आफ्रिकाके रहनेवालोंके, चाहे वे गरीब भारतीय हों या उच्च पदासीन यरोपीय हों, आदरका पात्र बनी रहना चाहती है तो उसे पिछली सरकारके[२] कार्योसे अपने को बद्ध मानना ही होगा। परिपत्रकी अवहेलना करना और अब दोबारा गिरमिटिया करार करनेवाले गरीब और प्रवंचित लोगोंसे तीन पौंड प्रतिवर्ष वसूल करनेका इरादा रखना स्पष्ट रूपसे विश्वासघात करना है। मन्त्रिमण्डलके

  1. १. देखिए “ तीन पौंडी कर", पृष्ठ १७३-७६ ।
  2. २. लड़ाईसे पहलेवाली बोअर सरकार।