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साम्राज्य सरकार से क्या अपेक्षा करें ?

आशा है कि संघ-सरकारने अस्थायी समझौते में जो वादा किया था वह संघ-संसदके अगले सत्र में, शाब्दिक रूपमें ही सही, पूरा हो जायेगा । हमारी कामना है कि लॉर्ड महोदय इस अन्यायपूर्ण करका मामला हाथ में लें और उसे रद करानेके लिए सम्राट्की सरकारपर लोकमतका दबाव डालें ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-१२-१९११

१६६. तार : गृह-मन्त्रीके निजी सचिवको

दिसम्बर २१, १९११

गृहमन्त्रीके निजी सचिव
[ प्रिटोरिया ]

आपके तारके[१] लिए धन्यवाद । कल सबेरे मुलाकात के लिए आऊँगा ।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५५९८ ) की फोटो - नकलसे ।

१६७. साम्राज्य - सरकारसे क्या अपेक्षा करें ?


ट्रान्सवालकी स्थानीय सरकारके अध्यादेशके मसविदेके विषय में ब्रिटिश भारतीय संघके प्रार्थनापत्रपर उपनिवेश कार्यालयसे लॉर्ड ऍम्टहिलकी समितिको जो पत्र [२]( डाउनिंग स्ट्रीटके लिहाजसे काफी लम्बा पत्र) लिखा गया है, उसे पढ़कर दुःख होता है । यदि पुष्टिकी आवश्यकता ही थी, तो यह पत्र अनेक सत्याग्रहियोंकी इस धारणाकी पुष्टि करता है कि जनरल स्मट्सके साथ जो अस्थायी समझौता हुआ और अब जिसे अगले दो-तीन महीने में कानूनकी शक्ल दे दी जायेगी वह सत्याग्रहकी शक्तिके कारण ही हुआ था । हमारे कहनेका मतलब यह नहीं है कि साम्राज्य सरकार हाथपर हाथ घरे बैठी रही अथवा साम्राज्य सरकारने जो विचार या सुझाव दिये उनका संघ-सरकारपर कतई कोई असर नहीं हुआ । लेकिन हम यह जरूर कहना चाहते हैं कि यदि सत्याग्रह न हुआ होता तो साम्राज्य सरकार हमारे पक्षमें बिलकुल कुछ न करती । श्री हरकोर्टके गत २३ नवम्बरके पत्रमें काफी स्पष्ट शब्दोंमें कहा गया है कि प्रकट शिकायतोंको दूर करवाने के लिए भी साम्राज्य सरकार हमारी ओरसे हस्तक्षेप नहीं करेगी । उनके लिए तो किसी जानी-मानी भूलको सुधारनेकी ब्रिटिश भारतीयोंकी प्रार्थनाको

 
  1. यह तार गृह मन्त्रीके निजी सचिवके उस तारका जवाब है, जिसमें उन्होंने गांधीजीको प्रवासी विधेयकका मसविदा दिखानेके उद्देश्यसे प्रिटोरिया में आकर मिल्नेका निमन्त्रण भेजा था। (एस० एन० ५५९८ )
  2. इस पत्र तथा ब्रिटिश भारतीय संवके प्रार्थनापत्र और एशियाइयोंको प्रभावित करनेवाले अध्यादेशके खण्डोंके लिए देखिए परिशिष्ट ७ ।