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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है । जिन लोगोंपर प्रतिबन्ध लगानेकी उससे अपेक्षा की जाती है वह साधारणतया उन्हीं लोगोंके पक्षमें निर्णय कैसे कर सकता है ? उसके निर्णयोंके विरुद्ध अदालत में अपील न करने देना न्याय करनेसे इनकार करना है। नेटालके भूतपूर्व विधानमण्डलने यही किया है। हमें आशा है कि मामलेको और ऊँची अदालत में पेश कराया जायेगा, और वहाँ उसपर पूरी तरह गौर किया जायेगा । नाथलिया भारतीय समाजका सदस्य है, और यदि हम उसका वापस भेज दिया जाना बरदाश्त कर लेते हैं तो यह लज्जाकी बात होगी । समाजको इसे अपने सम्मानका प्रश्न मानकर हमें इस तरुणकी रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि हम जानते हैं कि नाथलिया सचमुच उसी व्यक्तिका पुत्र है जो उसे अपना बेटा बताता है ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-१२-१९११

१६९. नया वर्ष

किसी वर्षकी समाप्तिपर स्वाभाविक ही है कि जिस पथसे हम गुजरे हैं घूमकर उसपर नजर डालें। और अगर हमें कोई ऐसी चीज मिल जाये जिसके ऊपर हम हर्षित हो सकें तो यह बहुत अच्छी बात है। इस वर्ष ऐसी कौन-सी घटना घटी है जिसके बारेमें कहा जा सके कि उसने भारतीय समाजको प्रभावित किया है ? जनवरीके प्रथम सप्ताहमें कलकत्ते से यह शुभ समाचार मिला कि भारत सरकारने अप्रैल में एक नोटिस निकालनेका निश्चय किया है जिसके अनुसार जुलाई १ से गिरमिटिया भारतीयोंका नेटाल भेजा जाना निषिद्ध हो जायेगा । सरकारने इस निर्णयपर अमल किया है और अब हम गिरमिटिया भारतीयोंको इस देशमें आते हुए नहीं देखेंगे।[१] इस समय यह कहना तो मुमकिन नहीं कि अन्ततोगत्वा इसका परिणाम क्या होगा, किन्तु हमारे पास यह माननेका पर्याप्त कारण है कि भारतीय मजदूरोंसे काम लेनेवाले बहुत-से मालिक अपने कर्मचारियोंके साथ कुछ सद्भावनापूर्ण व्यवहार करने और उनके लिए समुचित आवास व्यवस्था करनेकी आवश्यकता अनुभव करने लगे हैं। समय बीतने के साथ-साथ हम और अधिक सुधारोंकी आशा रखते हैं जिनमें बागानोंमें रहनेवाले भारतीय बालकोंके लिए स्कूलोंकी स्थापना भी शामिल है । तथापि इसके कारण हम गिरमिटिया प्रणालीकी बहुतेरी बुराइयोंकी तरफसे आँख नहीं मूंद सकते, और "सबके लिए स्वतन्त्रता " के अपने आदर्शको भी हमने छोड़ नहीं दिया है। जब लोग इस स्वतन्त्रताके लिए तैयार हो जायेंगे उस समय वह अपने आप आ जायेगी। फिरसे गिरमिटिया करार मंजूर करानेके लिए इस समय प्रलोभनके रूपमें जो पहलेसे अच्छा बरताव करने और ज्यादा स्वास्थ्यकर सुविधाएँ देनेकी बात चलाई जा रही है, वही आगे चलकर मजदूर और मालिकके बीच करार करनेकी स्वतन्त्रताका रूप ले लेगी ।

  1. देखिए पृष्ठ ९४, पाद-टिप्पणी ३ ।