पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/२३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०३
श्री पोलक भारतीय राष्ट्रीय महासभा में

इटली - तुर्की युद्ध से पीड़ित लोगोंके सहायतार्थ हजारों पौंडका अनुदान देकर बड़ा त्याग दिखा रहा है। हमें विश्वास है कि वह भारतके अकाल पीड़ित लोगोंके सहायतार्थ दान देने में भी उतनी ही उदारता दिखायेगा । समाजके हिन्दू पारसी तथा ईसाई सदस्यों- ने इधर हालमें खर्चेका ऐसा कोई बोझ नहीं उठाया जैसा अभी मुसलमान सदस्योंने उठाया है; अतः वे इस महत्वपूर्ण उद्देश्य से एकत्रित चन्देकी राशिमें वृद्धि करना अपना विशेष कर्त्तव्य बना सकते हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ६-१-१९१२


१७१. श्री पोलक भारतीय राष्ट्रीय महासभा में

श्री पोलक भारतमें अपना कठिन कार्य शुरू कर चुके हैं । कर्तव्यकी पुकार सुनकर फिर उन्हें चैन कहाँ ! गिरमिटिया प्रथा-सम्बन्धी जिस प्रस्तावपर[१]उनके, श्री चिन्तामणि,[२]डॉक्टर मणिलाल और अन्य कई सज्जनोंके भाषण हुए, वह अत्यन्त मह्त्वका है। वह ठीक दिशामें उठाया गया कदम है। यह उनकी पिछली सेवाओंपर मुकुटरूप है। नेटालमें गिरमिटिया मजदूरोंकी भरती बन्द करवानेका श्रेय श्री गोखलेके साथ-साथ उन्हें भी जाता है। भारतीय राष्ट्रीय महासभा (इंडियन नेशनल कांग्रेस) ने निस्सन्देह उनसे प्रेरणा पाकर भारत सरकारसे गिरमिटिया प्रथाको सर्वथा बन्द कर देनेकी माँग की और इस प्रकार उसने अपनी नीतिके तर्कसंगत परिणामका अनुगमन किया है । अब यह काम भारत सरकारका है कि वह इस प्रथाको बन्द कर दे, क्योंकि यह प्रच्छन्न रूपमें एक प्रकारकी दासता ही है ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ६-१-१९१२
 
  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसने अपने दिसम्बर १९११ के कलकत्ता अधिवेशनमें एक प्रस्ताव पास कर गिरमिटिया प्रथाको भर्त्सना की थी और सरकार से इस प्रथाको सर्वथा समाप्त कर देनेका अनुरोध किया था। इंडियन ओपिनियन, ६-१-१९१२; देखिए पाद-टिप्पणी २, पृष्ठ १९१ भी ।
  2. चिरावुरी यज्ञेश्वर चिन्तामणिश्री (१८८०-१९४१ ); समाज-सेवी पत्रकार; सम्पादक - इलाहाबाद; कुछ कालके लिए उत्तर-प्रदेशके मन्त्री । लीडर,