बाधा बनी रहेगी। आखिर ये भी तो उसी दक्षिण आफ्रिकी राष्ट्रके अंग हैं जो कि इस समय निर्माणको प्रक्रियाओंमें से गुजर रहा है।
इंडियन ओपिनियन, ३-२-१९१२
१८३. स्व० श्री अब्दुल्ला हाजी आदम
नेटालके भारतीय समाजके महानतम व्यक्तियोंमें से एक उठ गया। दादा अब्दुल्ला ऐंड कं० की प्रसिद्ध पेढ़ीके मालिक श्री अब्दुल्ला हाजी आदम झवेरी[१]५८ वर्षकी अवस्थामें गत सोमवारको अपनी विधवा पत्नी और समस्त भारतीय समाजके अति- रिक्त, अनेक यूरोपीय मित्रोंको शोकाकुल छोड़कर सिधार गये। नेटालके भारतीयोंके राजनीतिक और व्यापारिक जीवनसे उनका घनिष्ठ सम्बन्ध था । वे नेटालमें आकर पहले-पहल बसनेवाले स्वतन्त्र भारतीयोंमें से एक थे । वे स्व० अबूबकर आमदके?[२] आनेके कुछ ही दिनों बाद यहाँ आये थे। श्री अब्दुल्ला हाजी आदम और उनके साझीदार गत शताब्दीके अन्तिम दस वर्षोंमें दक्षिण आफ्रिकाके शायद सबसे बड़ भारतीय कारोबारके मालिक थे । एक समय तो उनकी पेढ़ीकी शाखाओंकी संख्या शायद पन्द्रह तक पहुँच गई थी और इंग्लैंड, जर्मनी तथा भारतके साथ उनका हजारों पौंडका व्यापार होता था । दक्षिण आफ्रिकामें वे पहले ही भारतीय थे जिन्होंने जहाजोंकी खरीदका काम शुरू किया। 'कूरलैंड' और 'खदीब' नामक जहाज उन्होंने खरीद लिये थे । श्री अब्दुल्ला हाजी आदमकी दक्षता जैसी व्यापारमें बढ़ी चढ़ी थी वैसी ही राजनीतिक मामलोंमें भी थी । नेटाल इंडियन कांग्रेसके वे संस्थापक अध्यक्ष थे । अपनी मातृभाषा में उनकी वक्तृत्व-शक्ति भी खासी थी । यद्यपि उन्होंने अंग्रेजी काम करते-करते ही सीखी थी, परन्तु वे अंग्रेजीमें आसानीसे घंटों बहस-मुबाहिसा कर सकते थे। उनके यूरोपीय मित्र यह देखकर चकित रह जाया करते थे कि अपनी वातको सिद्ध करनेके लिए वे कहाँ-कहाँसे कैसी-कैसी युक्तियाँ और उपयुक्त उदाहरण खोज निकालते थे। वे कई बार नेटाल सरकारके समक्ष शिष्ट-मण्डलोंके नेता के रूप में गये थे • विशेषतः स्व० सर जॉन रॉबिन्सनके[३]प्रधान मन्त्रित्वकालमें । उन्होंने बीमारीकी हालत में भी राजतिलकके उत्सवका बहिष्कार करनेके आन्दोलनमें प्रमुख
- ↑ इन्होंने सन् १८९३ में गांधीजीको अपना मामला एक अंग्रेज वकीलको समझानेके लिए बुलाया था।
- ↑ अबुबकर आमद झवेरी; ट्रान्सवालमें प्रारम्भमें ही बसनेवाळे भारतीयों में से एक; रेशमी और सजावट के सामानोंके प्रमुख व्यापारी; और ट्रान्सवालके एकमात्र भारतीय, जिनके नामपर वहाँ जमीनकी मिल्कियत भी थी। उनकी मृत्युके बाद उनकी जमीनके उत्तराधिकारके प्रश्नको लेकर भारी विवाद खदा हो गया था; क्योंकि इस जमीनका स्वामित्व उन्होंने १८८५ का कानून ३ लागू होनेके पूर्व ही प्राप्त किया था ।
- ↑ (१८३९-१९०३ ); नेटाल्के प्रथम प्रधान मन्त्रो और उपनिवेश सचिव, १८९३-९७ ।