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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

खण्ड ४ (ग)

यदि किसी व्यक्तिके सम्बन्धमें किसी विदेशी सरकार द्वारा कोई [ विरोधी ] सूचना मिले तो उसके प्रवेशपर पाबन्दी होगी ।

टिप्पणी

जान पड़ता है, यह खण्ड उपद्रव करनेवाले व्यक्तियोंके लिए है ।

खण्ड ५ (च) तथा (छ)

जो व्यक्ति अपने [ युद्ध-पूर्वके] अधिवासके आधारपर [ संघ में ] प्रवेश करना चाहता हो और जिसकी पत्नी तथा बच्चे भी [ उसके प्रवेशाधिकारके आधारपर ] प्रवेश पाना चाहते हों, उसे अपने अधिकारको इस प्रकार सिद्ध करना होगा जिससे [प्रवासी ] अधिकारीको सन्तोष हो जाये ।

टिप्पणी

इस खण्डका विरोध सबको करना चाहिए । नेटालके कानूनमें ऐसा एक खण्ड है। सरकार अब केप तथा ट्रान्सवाल [ के कानूनों ] में भी उसे दाखिल करना चाहती है। यह धारा सत्याग्रहीको भी स्वीकार्य नहीं हो सकती। हमें [ अधिकारीके निर्णयों के विरुद्ध ] न्यायालयों में अपील करनेका हक मिलना ही चाहिए।

खण्ड ६

निषिद्ध व्यक्तियोंको तीन महीने तक का कारावास दिया जा सकता है; जुर्मानेकी कोई व्यवस्था नहीं है । उसे निर्वासित भी किया जा सकता है।

खण्ड ७

अगर [ संघके ] किसी एक प्रान्तका भारतीय किसी दूसरे प्रान्तमें जाना चाहता है तो उसे नया [ इमला ] इम्तहान पास करना होगा ।

टिप्पणी

इस खण्ड के अन्तर्गत सम्भव है कि नेटाल या केपसे कुछ शिक्षित भारतीय ट्रान्सवाल अथवा फ्री स्टेटमें यदा-कदा आ जायें, लेकिन शिक्षित भारतीयोंके लिए ट्रान्सवालसे केप अथवा नेटालमें प्रवेश करना बड़ा मुश्किल होगा, क्योंकि मौजूदा सरल परीक्षाके बदले उन्हें उस समय जो नई परीक्षा देनी होगी, वह अपेक्षाकृत अधिक कठिन होगी। इस खण्डका विरोध सबको करना चाहिए। यह खण्ड कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता । [ इस विषयपर ] सत्याग्रही भी चुप नहीं बैठे रह सकते ।

खण्ड ८

कोई निषिद्ध व्यक्ति सम्बन्धित प्रान्त अथवा सम्पूर्ण संघमें ही न कहीं व्यापार कर सकता है और न भूस्वामित्व प्राप्त कर सकता है।