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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

टिप्पणी

इस खण्डके अनुसार जो भारतीय परीक्षा पास करके प्रवेश करेगा उसे [ संघके ] चारों प्रान्तों में रहनेका निश्चित अधिकार प्राप्त होगा । उसे पंजीयन नहीं करवाना पड़ेगा। लेकिन वह ट्रान्सवालमें अपने नामसे जमीन नहीं खरीद सकता। ऑरेंज फ्री स्टेटमें भी वह न जमीन खरीद सकता है और न व्यापार अथवा खेती-बाड़ी ही कर सकता है। सत्याग्रही इससे अधिककी माँग नहीं कर सकते। जमीन आदिसे सम्बन्धित हकों के लिए बड़े पैमानेपर नया संघर्ष आरम्भ किया जाना चाहिए। भारतीयोंमें इसके लिए अपेक्षित बल होना जरूरी है । उसमें समय लगेगा । बहुत-कुछ सीखना और कष्ट सहन करना पड़ेगा ।

इस कानून में कुल मिलाकर २९ खण्ड हैं; लेकिन यहाँ शेष खण्डोंका सार देनेकी आवश्यकता नहीं है ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३-२-१९१२

१८५. तार : ब्रिटिश भारतीय यूनियनको[१]

[ लॉली ]
फरवरी ३, १९१२

ब्रिटिश भारतीय यूनियन

६७, हैनोवर स्ट्रीट

केप टाउन

पत्नी और बच्चोंके अधिवास प्रमाण विषयक अधिकारीके मनचाहे अधिकार, प्रान्तीय आवागमनके लिए नई शैक्षणिक परीक्षा, अन्य देशोंसे आनेवालोंके लिए नई परीक्षा, केपकी अनुपस्थितिकी अवधि सीमित करनेकी नीतिकी बरकरारी और शिक्षित प्रवासियों द्वारा हलफनामा देना आवश्यक करनेवाले फ्री स्टेटके कानूनके खण्डका विरोध करते हुए प्रस्ताव पास करें। एडवोकेट अलेक्जेंडरको मुद्दे ज्ञात हैं। सलाह दूंगा, उनसे मिलें । तारसे प्रस्तावोंका पाठ भेजना कठिन है ।[२]

गांधी

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५६१२) की फोटो- नकलसे ।

 
  1. देखिए “एक टिप्पणी ", पृष्ठ २१४ ।
  2. फरवरी ४ को आयोजित केप भारतीयोंकी एक सभा में तारमें निर्दिष्ट आशयके प्रस्ताव सर्वानुमतिसे स्वीकृत किये गये । प्रस्तावोंके लिए देखिए " प्रस्ताव : केप ब्रिटिश भारतीय यूनियनकी सभामें", पृष्ठ २२२-२३ ।