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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अच्छी तरह भूनकर बारीक दल लें और उसमें गुड़ और पानी मिला दें तो वह मेलिन्स फूडका काम दे सकता है। और भी बहुत-सी चीजें इसकी जगह ली जा सकती हैं।

यह बात समझना आसान है कि तुम्हारे, रामी[१]और कान्तिके-वहाँ रहनेसे छबल भाभीको[२]बहुत शान्ति मिलती होगी । फिलहाल मेरे या बा के यहांसे जल्दी निकल सकनेकी सूरत मुझे तो दिखाई नहीं देती ।

मणिलाल इस समय यहीं है । वह फाल्गुनके मध्य तक यहाँसे जायेगा । जमनादास भी यहीं है। फिलहाल मैं पाठशालाके कार्य में व्यस्त रहता हूँ । इसमें २५ छात्र हैं; इनमें से आठ मुसलमान हैं, २ पारसी और शेष हिन्दू । हिन्दुओंमें से पाँच मद्रासके, एक कलकत्तेका और बाकी गुजरातके हैं। जमनादास और दूसरे लोग पढ़ाने में मदद देते हैं ।

रामीबाई और कान्तिभाईको मेरी ओरसे बहुत-बहुत प्यार करना । बलीको पत्र लिखने के लिए कहना ।

बापूके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ९५२९) की फोटो- नकलसे ।

चि० हरिलाल,

१९७. हरिलाल गांधीको लिखे पत्रका अंश


[ टॉल्स्टॉय फार्म
लॉली ]
माघ बदी[ फरवरी १८, १९१२][३]

तुम्हारा पत्र कई महीने बाद मिला । तुमने इसमें लिखा है कि तुम नियमित रहनेका प्रयत्न कर रहे हो । किन्तु जान पड़ता है कि यह प्रयत्न निष्फल हुआ है और तुमने मुझे जो नई आशा बंधाई थी वह भी टूट गई है। तुम्हारे पिछले पत्रके बाद दो डाकेँ खाली गई हैं।

चंची तुम्हारे साथ ही रहने की इच्छा प्रकट करती है और उस सम्बन्धमें मेरी राय जानना चाहती है। उसे मैंने उत्तर[४]दिया है और दूसरी खबरें भी दी हैं ।

 
  1. चंचल बह्नकी लड़की ।
  2. चंचल वहन गांधीकी माँ ।
  3. यह पत्र हरिलाल गांधीके मई १९११ में दक्षिण आफ्रिकासे भारत चले आनेके बाद लिखा गया होगा । इसपर माघ वदी की तिथि पड़ी हुई है; अतः यह १९१२ में लिखा गया होगा क्योंकि उस वर्ष माघकी अमावास्या फरवरीकी १८ तारीखको पड़ी थी ।
  4. देखिए पिछला शीर्षक ।