पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/२७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२०३. भाषण : बिदाई - सभायें[१]

जोहानिसबर्ग
शनिवार, मार्च ९, १९१२

सर्वश्री मेढ और प्रागजीने नेटालसे खास तौरपर ट्रान्सवाल आकर और जेल जाकर समाजकी बड़ी सेवा की है । जेलसे बाहर आनेपर भी उन्होंने पैसेके लोभ में किसी प्रकारका कारोबार नहीं किया, वरन् टॉल्स्टॉय फार्ममें रहकर पाठशाला आदिके कार्यों में मदद दी ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-३-१९१२

२०४. पत्र : डॉ० प्राणजीवन मेहताको

टॉल्स्टॉय फार्म
लॉली स्टेशन
ट्रान्सवाल

फाल्गुन बदी ८ [ मार्च ११, १९१२][२]

भाई श्री प्राणजीवन,

यह पत्र भाई सुरेन्द्रराय मेढ और प्रागजी देसाईमें से कोई आपको देंगे । आपके दर्शन करनेकी इनकी इच्छा सहज है, क्योंकि इन्होंने मेरे मुँहसे आपके बारेमें बहुत-कुछ सुना है । यदि सम्भव हो तो इनका विचार जबतक वहाँ रहें, आपके अधीन अकाल- निवारणके सम्बन्धमें काम करनेका है। दोनों पक्के सत्याग्रही हैं। भाई मेढने दस वर्ष तक ब्रह्मचर्य-पालन और देश सेवा करनेकी प्रतिज्ञा ली है। उनका इससे सम्बन्धित पत्र मैंने आपको भेजा था। भाई प्रागजीका विचार भी ऐसी ही प्रतिज्ञा लेनेका है। यह इस बातपर निर्भर है कि अपने बड़े-बूढ़ोंसे परामर्श करनेके पश्चात् उनका क्या विचार बनता है। भाई मेढको अहमदाबादमें पहुँचकर यह देखना है कि वे किस

 
  1. यह सभा सत्याग्रही सुरेन्द्रराय मेढ तथा प्रागजी खण्डुभाई देसाईंको बिदाई देनेके लिए जोहानिस- बर्ग इंडिपेंडेंट चर्च हॉलमें की गई थी; देखिए अगला शीर्षक।
  2. स्पष्ट ही यह पत्र २९ दिसम्बर, १९११ को श्री गोखलेको प्रस्तावित दक्षिण आफ्रिका यात्राकी घोषणा के बाद और २२ अक्तूबर, १९१२ को उनके दक्षिण आफ्रिका पहुँचनेके पूर्व लिखा गया था। परन्तु गुजराती तिथि फाल्गुन वदी ८ से मालूम होता है कि यह १९१२ में हो लिखा गया होगा । उस वर्ष फाल्गुन वदी ८ को मार्चकी ११ तारीख पदी थी। श्री मेढ़ और देसाई मार्च २१ को भारतके लिए रवाना हुए। देखिए पिछला शीर्षक भी ।
११—१६