पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/२८०

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२०७. तार : गृह मन्त्रीको[१]

[ लॉली ]
मार्च २०, १९१२

गृह-मन्त्री
केप टाउन

क्या अब मुझे प्रवासी कानूनके बारेमें सूचना प्राप्त हो सकती है ? भारतसे उसके सम्बन्धमें पूछताछ का तार आया है।

गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५६४१) की फोटो- नकलसे ।

२०८. पत्र : छगनलाल गांधीको

[ लॉली ]
चैत्र सुदी ६, [ मार्च २४, १९१२]

चि० छगनलाल,

मुझे चि० मगनलालका पत्र मिला है। मुझे तुम्हारी सभा और उसकी कार्रवाईकी बात समझ नहीं आती। तुम जब लौटोगे तो तुम्हें अपनी जगह क्यों नहीं मिलेगी, यह बात मैं समझ नहीं पाता। इस सबका क्या परिणाम निकला, सो सूचित करना । चि० मगनलालको मैं अलग पत्र नहीं लिखता । हिसाबके काममें बहुत व्यस्त हूँ । यह भी सुझाना चाहिए कि यदि वे तुम्हें मैनेजरके रूपमें नहीं रखते तो तुम प्रेसमें क्या काम करोगे सो वे ही तय करें। तुम फिलहाल तो चुप ही रहना। वे क्या करते हैं, यह सूचित करना। धीरज रखनेसे यह मृगजल अदृश्य हो जायेगा । चाहता यह हूँ कि तुम स्थिरचित्त रहो ।

इसके साथ चि० अभेचन्दकी[२]भेजी हुई अकालके चन्देकी सूची है। इसे छाप देना। [३] चेक यहाँ आ गया है।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजी स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ५६३८) की नकलसे ।
सौजन्य : छगनलाल गांधी ।
  1. मन्त्री महोदयने उसी दिन उत्तर दिया कि यह पहलेसे कह सकना नामुमकिन है कि " प्रवासी कानूनपर कब विचार होगा...फिर भी मालूम होते ही मैं सम्भावित तिथिकी सूचना आपको भेज दूँगा ।"(एस० एन० ५६४२ )
  2. गांधीजीके एक कुटुम्बी अमृतलालके पुत्र । नेटाल प्रान्तके टोंगाट नामक नगर में इनका अपना कारोबार था ।
  3. ययपि सूची उपलब्ध नहीं है, किन्तु शायद तात्पर्य उसी सूचीसे है जो ३०-३-१९१२ के इंडियन ओपिनियनमें प्रकाशित हुई थी ।