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बस्तियों और रोग

जीवन बहुत-कुछ आफ्रिकी गाँवोंसे मिलता-जुलता है। इससे उस पद्धतिकी जबरदस्त नामोशी होती है जो सीधा-सादा जीवन बितानेवाले ग्रामीण लोगोंको उनके प्राकृतिक वातावरणसे हटाकर नगरों और बस्तियोंकी तंग तथा अस्वास्थ्यकर परिस्थितियोंमें डाल देती है। इससे प्रकट है कि लोग आधुनिक जीवन-क्रम अपनाने के मोहमें पड़कर अपने स्वास्थ्य की बड़ी भारी हानि कर बैठते हैं। सदाचारका प्रश्न इससे कहीं अधिक व्यापक और महत्वपूर्ण है; परन्तु हम यहाँ उसके विषयमें कुछ नहीं कहेंगे-हमारा यह विचार अवश्य है कि इन लोगोंको घनी और तंग बस्तियोंमें इकट्ठा कर देनेका जो परिणाम हो रहा है, उससे बुरा कुछ हो ही नहीं सकता ।

जिसने वतनी अथवा भारतीय बस्तीको देखा है उसके मनपर यह छाप पड़े बिना नहीं रह सकती कि वहाँ घर कहने लायक कोई चीज ही नहीं है । वहाँ रास्तोंकी कतई देखरेख नहीं की जाती, नालियोंका सर्वथा अभाव है और मकानोंकी हालत बिलकुल गई-बीती है; यह सब देखकर एकदम पता चल जाता है कि यह जरूर कोई 'बस्ती' है - अर्थात् वह स्थान है जहाँ रंगदार लोगोंको बहिष्कृतोंकी तरह अपना जीवन बिताने के लिए भेज दिया जाता है। लोग एक-दूसरेके कानमें कहते हैं कि वहाँ रातमें अकेले जाना 'खतरनाक " है; उससे किसी प्लेगकी जगहकी तरह बचो । नगरपालिकाके मेहतर और मैला- गाड़ियाँ तक वहाँ नहीं फटकतीं। सभी इन नापाक जगहों के नामसे जिस तरह नाक-भौं चढ़ाते हैं उसी तरह तुम भी करो । लगान और कर तो नियमसे वसूल किया जाता है, परन्तु वह सब केवल नगर- पालिकाकी तिजोरियोंमें चला आता है । यदि कोई नई 'बस्ती' आबाद करनी हो तो उसके लिए, कलतक जहाँ शहरका कूड़ा-करकट और मुर्दा-ढोर वगैरे फेके जाते रहे हों, ऐसी जगहका काममें लाया जाना सस्ता और सुविधाजनक सौदा समझा जाता है । तब फिर यदि ये बस्तियाँ क्षय और अन्य भयंकर रोगोंके फलने-फूलने के अड्डे बन जायें तो इसमें आश्चर्यकी क्या बात है ?

हमें ज्ञात हुआ है कि जोहानिसबर्गकी नगर-परिषद्ने वतनियोंकी बस्तीका प्रश्न 'सुलझाने " का निश्चय कर लिया है और वह वतनियोंको बसानेकी समस्या हल करने के लिए 'ज़बरदस्त' प्रयत्न करनेवाली है । वह इस कामको यों करना चाहती है : जो लोग अभी अपनी इच्छानुसार जहाँ-तहाँ रह रहे हैं, उन सबको खदेड़कर एक बड़े बाड़ेमें इकट्ठा कर दिया जायेगा और उन्हें वे चाहें या न चाहें, वहीं रहनेपर विवश किया जायेगा। इस बस्ती के चारों ओर एक बाड़ लगा दी जायेगी और उसके " पुरवासियों"[१](यह शब्द बड़ा व्यंजनापूर्ण है) को एक बड़े फाटक में से होकर आना-जाना पड़ेगा, जिसपर पुलिसका पहरा रहेगा। फाटक एक निश्चित समयपर बन्द कर दिया जायेगा और खोला ऐसे समय जायेगा कि वतनी अपने यूरोपीय मालिकोंके कामपर वक्त से पहुँच सकें। जोहानिसबर्गके एक प्रसिद्ध नागरिकने अपनी सम्मति इस तरह प्रकट की है कि यह योजना, केवल सार्वजनिक स्वास्थ्यकी दृष्टिसे ही नहीं, सुरक्षाकी दृष्टिसे भी बहुत सफल रहेगी । यहाँ, जहाँतक सार्वजनिक स्वास्थ्यका

 
  1. मूलमें “ इन्मेटस” शब्द है ।