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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्बन्ध है, हमें निश्चय है कि सार्वजनिकका अर्थ गोरी जनतासे है, उस जनतासे नहीं जिसे कि नगरपालिकाके इस अहाते में रहने का विशिष्ट लाभ पहुँचाया जानेवाला है। हमारा खयाल है कि डॉ० थॉर्नटन भी हमसे सहमत होंगे। अब जरा यह सोचिए कि यह " सुरक्षाकी दृष्टि" क्या बला है ? लीजिए, हम बताने की कोशिश करते हैं; और चूँकि इस विषय में निश्चयपूर्वक कुछ नहीं कहा जा सकता है, इसलिए हम केवल इतना कहकर सन्तोष माने लेते हैं कि जब सब काले आदमी अलग अहाते में रख दिये जायेंगे तब [ पुलिसको ] गोरे अपराधियोंके उस वर्गपर नजर रखना सुगम हो जायेगा जो शहरोंमें जमा हो जाया करता है । अब हम फिर अपनी मुख्य बात- पर आते हैं। हमारा सब न्यायप्रिय और दूरदर्शी लोगोंसे अनुरोध है कि वे क्षय- आयोगके सामने दी हुई गवाही में जो चेतावनी है उसकी उपेक्षा न करें। चेतावनी यह है कि बस्तियोंकी संख्या बढ़ाते चले जाना रोग और मृत्युकी वृद्धि करना है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ६-४-१९१२

२१२. पत्र : मणिलाल गांधीको

[ लॉली ]
चैत्र वदी ५, [ अप्रैल ६, १९१२][१]

चि० मणिलाल,

तुम्हारा पत्र मिला । तुमने मुझे वीरजी[२]और सामके सम्बन्धमें पत्र लिखा, सो ठीक किया; यह तो उचित है कि तुम दोष देखो तो उसे मेरे ध्यानमें ला दो । वैसे मेरी इच्छा यह है कि तुम दोषोंकी अपेक्षा लोगोंके गुण अधिक देखो । दोष तो हम सबमें भरे ही हुए हैं। इसलिए हमें लोगोंके गुण ढूंढकर उन्हींपर विचार करना चाहिए। ऐसी आदत डालनेसे पड़ सकती है । परन्तु जबतक यह आदत न पड़े, तबतक तुम जिन दोषोंको देखो उन्हें मुझे बताने में न झिझको। यदि तुमने जैसा लिखा है वैसा ही हो तो मुझे भी लगता है कि दोनों व्यक्ति व्यर्थ समय खो रहे हैं। छापेखाने के सम्बन्धमें भी तुम्हारी आलोचना ठीक हो सकती है । परन्तु गीताका यह वचन याद रखो : "जो अपरिहार्य है -जिसका हम कोई उपाय नहीं खोज सकते, उसे हमें सहन करना चाहिए।"[३]तुम अपना कर्त्तव्य करते जाओगे तो तुम्हें सन्तोष रहेगा । अगर हम अपना फर्ज पूरा करते रहें और सारी दुनिया जैसीकी-तैसी

 
  1. इंटर नेशनल प्रिंटिंग प्रेसके प्रबन्धक ए० एच० वेस्ट कुछ दिन टॉल्स्टॉय फार्मपर रहनेके लिए ११ अप्रैल, १९१२ को पहुँचे थे। दूसरे अनुच्छेदमें उनका उल्लेख है । अन्तिम अनुच्छेद में बच्चोंके खेल-कूद का उल्लेख है । यह प्रतियोगिता ८ अप्रैल, १९१२ को हुई थी (देखिए इंडियन ओपिनियन १३-४-१९१२) । चैत्र वदी ५ उस वर्ष अप्रैलकी ६ तारीखको पड़ी थी।
  2. इंटर नेशनल प्रिंटिंग प्रेस, फीनिक्स में कम्पोजीटर ।
  3. अभिप्राय कदाचित् " तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि " से है ।