सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/३२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२९३
बली वोरा और चंचलबहन गांधीको लिखे पत्रका अंश

जाने दिया था, और अब भी मेरा वही खयाल बना हुआ है कि वह अपनेको वहाँ ज्यादा सुखी महसूस करेगी; हरिलालकी भी यही इच्छा थी। इसीलिए उसे वहाँ जाने दिया। अभी यह कह सकना कठिन है कि मैं वहाँ कब जा पाऊँगा। मेरा खयाल है कि जबतक विधेयक पास नहीं हो जाता तबतक यहाँसे निकल सकना सम्भव नहीं है।

कान्ति कनकना होता जा रहा है, यह जानकर प्रसन्नता हुई। मेरी सलाह यह है कि घरमें विदेशी खान-पान कतई दाखिल न किया जाये, इसके बारेमें मेरा अनुभव बहुत बुरा रहा है। दिनपर-दिन मेरा यह विश्वास दृढ़ होता जा रहा है कि लगभग ये सभी खाद्य-पदार्थ दोषयुक्त होते हैं।

यह बहुत अच्छी बात है कि बलीने संस्कृत पढ़ना प्रारम्भ कर दिया है। मुझे ज़ब कभी भारत पहुँचने और वहाँ काम शुरू करनेका अवसर मिलेगा तब बलीसे पूरा-पूरा काम लेनेका इरादा है।

मणिलाल, रामदास और देवदास फार्मपर हैं। डॉ० मेहताकी पुत्री जयाकुंवर वेन भी यहीं मेरे साथ है। बच्चोंको पढ़ाने लिखाने में वह मेरा बहुत हाथ बँटा रही है। तुमने 'इंडियन ओपिनियन' में पढ़ा होगा कि उसके पति फीजी गये हुए हैं।' चि० जमनादास भी मेरे साथ हैं । अनी भी फार्मपर है। देवी बहन...

गांधीजी के स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (एस०एन० ९५३०) की फोटो - नकलसे।





१. डॉ० प्राणजीवन मेहताको लिखे अपने २२ अक्तूबर, १९११ के पत्र (देखिए पृष्ठ १६३-६६ ) में गांधीजीने मणिलाल डॉक्टरकी भावी योजना - अर्थात् उन्हें पुनः मॉरिशस लौटकर सार्वजनिक कार्य प्रारम्भ करना चाहिए अथवा ट्रान्सवालमें ही रहना चाहिए के सम्बन्धमें अपने विचार प्रकट किये थे। अप्रैल २९ को उन्होंने ई० एफ० सी० लेनको एक पत्र लिखकर, शायद, यह जिज्ञासा की थी कि क्या मणिलाल डॉक्टर को उन भारतीयों में शामिल किया जा सकता है जो अस्थायी समझौतेकी इस व्यवस्थाके अन्तर्गत उपनिवेशमें प्रवेश करनेवाले हैं कि प्रतिवर्ष छः शिक्षित भारतीयोंको प्रवेश दिया जायेगा। लेकिन यह पत्र उपलब्ध नहीं है। मई ३ को उनके पत्रका उत्तर (एस० एन० ५६४९) देते हुए श्री लेनने लिखा था कि समझौतेको कानूनी रूप देने तक तो वे मणिलाल डॉक्टरको अस्थायी अनुमतिपत्र ही दे सकते हैं। जुलाई ८ को गांधीजीने अपनी डायरीमें लिखा है कि मणिलाल डॉक्टर वास्तवमें फीजी जाना नहीं चाहते, किन्तु कुछ दिन बाद उन्होंने फिर अपनी डायरीमें लिखा है कि वे २६ जुलाईको जहाजसे फीजीके लिए रवाना हो गये हैं।

२. कुमारी एडा वेस्ट 1

३. बाकी हिस्सा उपलब्ध नहीं है ।