पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/४५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४२१
भारत में श्री गोखलेका भाषण

तीय रजवाड़ोंसे ली गई तो वह ऐच्छिक तो हरगिज नहीं होगी। भारतीय रजवाड़ोंको वास्तविक स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं है। अगर उन्हें केवल इतना भर कहा जाये किं ऐसा करने से साम्राज्य सरकार उनपर प्रसन्न होगी तो इसे वे अपना कर्त्तव्य मानकर करेंगे। इसके विपरीत, यदि राजनैतिक प्रतिनिधिगण उनपर दबाव डालेंगे तो भी उसी प्रकार वे चन्दा देनेको तैयार हो जायेंगे। किसी समाचारपत्रने तो यहाँतक कह डाला कि साम्राज्य सरकारके युद्ध-प्रयासों में और किसी उपनिवेशसे एक पैसा भी नहीं आता और अकेले भारतको गोरी और काली दोनों फौजोंका भारी खर्चा उठाना पड़ता है। इसके अतिरिक्त भारतीय रजवाड़ोंको भी अपनी फौज इस तरह तैयार रखनी पड़ती है कि जब जरूरत हो वे मोर्चेपर आकर साम्राज्य सरकारको सहायता दें। यद्यपि भारतपर घुमड़नेवाले बादल छँट गये हैं, तथापि यह बात सम्भव नहीं लगती है कि भारतीय रजवाड़े पूर्ण रूपसे स्वतन्त्र रहेंगे। फिर भी कुछ समाचारपत्रोंने इस अफवाह का स्वागत किया। जर्मनी अपनी नौसेना बढ़ाने में लगा हुआ है। उसीकी प्रतिद्वन्द्विता में साम्राज्य सरकार भी अपनी जल- शक्ति बढ़ा रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि ब्रिटिश जनताको अधिक कर अवश्य देना चाहिए। लेकिन अगर प्रजाको इस तरह कर देते ही जाना पड़ा तो वह ऊब जा सकती है। ऐसी स्थितिमें ताज्जुब नहीं कि ब्रिटिश मन्त्रिमण्डल भारतपर गृद्ध-दृष्टि डाले हुए है।

[गुजरातीसे]

इंडियन ओपिनियन, ४-१-१९१३

३१३. भारतमें श्री गोखलेका भाषण

भारतसे प्राप्त समाचारपत्रोंसे मालूम होता है कि श्री गोखलेके इस देश में दिये गये भाषणोंके सम्बन्धमें यहाँसे जो तार गये उनसे भारतमें कुछ गलतफहमी पैदा हो गई है। बम्बईके 'गुजराती' नामक पत्रसे जान पड़ता है कि इस गलतफहमीको पैदा करनेमें अवश्य ही मुख्य हाथ अंग्रेजीके अखबारोंका है। इस अखबारने श्री गोखलेके भाषणोंका समर्थन किया है। जान पड़ता है बम्बई पहुँचनेपर श्री गोखलेका ध्यान भारतमें अपने कार्यके बारेमें फैली हुई गलतफहमीकी ओर गया।[१] रायटरके तारोंसे ज्ञात होता है कि श्री गोखलेने कांग्रेस में बोलते हुए अपने आलोचकोंको पूरा जवाब दिया है।[२] यहाँ हमारे मेजर सिल्बर्नने श्री गोखलेके भाषणका उलटा अर्थ लगाया था, किन्तु गोखलेने उसका भी जवाब दिया और उसे सभीने मान्य किया।[३] भारतमें हमारे महापौर [मेयर] और मेजर सिल्बर्नकी तरहके लोगोंने भी श्री गोखलेके भाषणका अर्थ उलटा लगाया। श्री गोखलेके भाषणके बारेमें गलतफहमी होना कोई अचरजकी

  1. देखिए परिशिष्ट २३।
  2. देखिए पादटिप्पणी १, पृष्ठ ४१८।
  3. देखिए परिशिष्ट २४।