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पत्र: मणिलाल इच्छाराम देसाईको

ओपिनियन' के पाठकों को भी अपनी पसन्दके दूसरे अखबारोंके साथ इस पत्रको पढ़ने की आदत पड़ गई है। इन पाठकोंमें अनेक ऐसे हैं जो आरोग्य विषयक पुस्तकें नहीं पढ़ते। सम्भव है, ऐसे लोगोंको इन प्रकरणोंसे लाभ हो। इसके अलावा मुझे ऐसा भी लगता है कि भिन्न-भिन्न पुस्तकों में आये हुए [स्वास्थ्य सम्बन्धी] विचारोंका निचोड़ इन प्रकरणों में आयेगा। अनेक पुस्तकें पढ़कर उनमें व्यक्त किये हुए परस्पर विरोधी मतोंपर चिन्तन करके मैंने अपने ये विचार ग्रथित किये हैं, अतः इन प्रकरणोंमें एकसे अधिक ग्रंथोंके सारांशका समावेश होगा। इतना ही नहीं, इससे इस विषय में विरोधी मत व्यक्त करनेवाली पुस्तकें पढ़कर नया पाठक जिस उलझनमें पड़ जाया करता है, उससे बचनेकी सम्भावना भी होगी। एक ग्रन्थ एक स्थितिमें गर्म पानीका प्रयोग करनेको कहता है; दूसरा उसी स्थितिमें ठण्डेका। नया पाठक दुविधामें पड़ जायगा। ऐसे परस्पर विरोधी प्रयोगोंका भी इन प्रकरणोंमें यथामति विचार किया जायगा। जिन्हें मूल पुस्तकें पढ़नी होंगी, वे स्वयं उन्हें पढ़कर इन प्रकरणोंमें सूचित निष्कर्षो में रद्दोबदल कर सकेंगे। अतः यह मान लेनेमें किसी प्रकारकी आपत्ति नहीं मानी जानी चाहिए कि 'इंडियन ओपिनियन' के सभी पाठकोंके लिए ये प्रकरण कम-ज्यादा रूपमें उपयोगी साबित होंगे।

[गुजराती से]

इंडियन ओपिनियन, ४-१-१९१३

३१६. पत्र : मणिलाल इच्छाराम देसाईको

[जनवरी ९, १९१३ या उसके बाद][१]

सेवा में,

रा० रा० मणिलाल इच्छाराम देसाई,
बम्बई

महोदय,

आपके पिताके[२] स्वर्गवासका इस देशमें समाचार आने पर जोहानिसबर्ग में हिन्दुओं की एक सभा हुई। सूचनार्थं निवेदन है कि उस सभामें एक प्रस्ताव द्वारा आपके पिताके स्वर्गवासपर शोक प्रकट किया गया और आपके कुटुम्ब तथा आपके साथ समवेदना प्रकट की गई।

आपका सेवक,
मोहनदास करमचन्द गांधी
सभाध्यक्ष

[गुजरातीसे]

गुजराती, ६-४-१९१३

  1. पत्र में उल्लिखित सभा ९ जनवरी, १९१३ को हुई थी।
  2. इच्छाराम सूर्यराम देसाई; गुजरातीके लेखक, पत्रकार और प्रकाशक।