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आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-३]

 देना चाहें वे हमें भेज दें और हम वह पैसा श्री गोखलेको भेज देंगे। हमें आशा है कि विभिन्न समितियाँ[१] भी चन्दा इकट्ठा करेंगी। इस कार्यके महत्व के सम्बन्ध में यहाँ लिखनेकी आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

[गुजरातीसे]

इंडियन ओपिनियन, १८-१-१९१३

३२५. माँ-बापका फर्ज

भविष्य में अपने बेटोंको क्या बनायें, इस विषयपर बहुत से माता-पिता बड़ा विचार करते हैं। अंग्रेज परिवारोंमें यह नियम दिखाई देता है कि वे सबसे सुन्दर लड़केको सैनिक बनाते हैं, सबसे होशियारको डॉक्टर या बैरिस्टर और सबसे मन्दबुद्धिको पादरी। इस नियमके अपवाद बहुत हैं। और एक बड़ा अपवाद यह है कि किसी-किसी अच्छे परिवारमें से एकाध व्यक्ति सार्वजनिक कार्य करनेके लिए तैयार किया जाता है। इस समय भारतकी जैसी दशा है, उसमें हरएक माँ-बापको चाहिए कि वे अपनी सन्तानमें से कौमकी सेवा करनेके लिए एक बेटेको अवश्य तैयार करें। जहाँ परिवारमें एक ही बेटा हो वहाँ यह बात लागू नहीं हो सकती। परन्तु बहुत-से परिवारोंमें एक से अधिक लड़के होते हैं। यदि ऐसे सभी परिवार अपने एक लड़केको देश-सेवाके लिए तैयार करे तो बहुत ही कम समय में देशका उद्धार हो जाये। इस सम्बन्धमें प्रत्येक माँ-बापको भली-भाँति विचार करना चाहिए।

[गुजरातीसे]

इंडियन ओपिनियन, १८-१-१९१३

३२६. आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-३]

प्रकरण १. नीरोग स्थिति

साधारणतया यह खयाल देखने में आता है कि जब एक मनुष्य ठीक ढंगसे खाता-पीता है, घूमता-फिरता है और वैद्यको नहीं बुलाता है, तब उसे लोग नीरोग समझते है। लेकिन ऐसा मानना भ्रमपूर्ण ही है। थोड़ा-सा विचार करें तो यह बात समझ में आ सकती है। ऐसे अनेक उदाहरण देखने में आते हैं जहाँ व्यक्ति खाता-पीता और घूमता-फिरता है तथा यह मानकर कि उसे कुछ नहीं है अपनी बीमारीकी परवाह नहीं करता।

सच पूछा जाये तो पूर्ण रूपसे नीरोगी मनुष्य इस दुनिया में बहुत थोड़े ही मिलेंगे।

  1. वि० भा० सं०, जोहानिसबर्ग से सम्बद्ध अन्य स्थानीय संस्थाएँ।