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हमारी लापरवाही
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संकटपूर्ण हो जायेगी। यदि भारतीयोंने इस चुनौतीको स्वीकार करके उसका प्रबल विरोध नहीं किया तो उनके अधिकारोंको जल्दीसे-जल्दी खत्म कर दिया जायेगा।

[अंग्रेजीसे]

इंडियन ओपिनियन, २५-१-१९१३

३२९. भारतीय महिलाओं द्वारा आयोजित बाजार

यह बाजार, जिसकी प्रेरक शक्ति श्रीमती वॉगल हैं, इस वर्षके अन्तमें भरनेवाला था। अब वह मई महीने के आसपास भरेगा। यह तो स्पष्ट ही है कि बाजार भारतीय महिला संघ (इंडियन विमेन्स असोसिएशन) के तत्वावधान में भरेगा। 'इंडियन ओपिनियन' के पाठकोंमें से जो श्रीमती वॉगलकी योजना और भारतीय स्त्रियोंकी शिक्षामें दिलचस्पी रखते हों, मुझे आशा है कि वे उदारतापूर्वक इसमें सहायता करेंगे और अपनी सहायताकी रकम आदि अप्रैल खत्म होनेसे पूर्व ही भेज देंगे। भारतमें रहने वाले मददगारोंको अपना माल ज्यादासे ज्यादा मार्चके अन्ततक भेज देना चाहिए। पता है - मन्त्री, भारतीय महिला संघ, बॉक्स ६५२२, जोहानिसबर्ग।

[अंग्रेजीसे]

इंडियन ओपिनियन, २५-१-१९१३

३३०. हमारी लापरवाही

डॉ० म्यूरिसिन स्वास्थ्यके सम्बन्धमें प्रतिवर्षं जो रिपोर्ट निकालते हैं, वह पढ़ने लायक होती है। इस वर्षकी रिपोर्टका सार हमने दूसरी जगह दिया है। डॉ० म्यूरिसिन और डॉ० एडम्सने, जो क्षय-रोगके सम्बन्धमें जाँच करनेके लिए विशेष रूपसे नियुक्त किये गये हैं, हमारी लापरवाहीकी आलोचना की है। डॉ० एडम्सने कहा है कि हम उनके विभागको छूतके रोगोंकी भी खबर नहीं देते। हम हवा और पानीके बारेमें दी गई उनकी हिदायतोंपर ध्यान नहीं देते। उन्होंने हमारी आदतोंकी भी आलोचना की है। हमें स्वीकार करना चाहिए कि यह आलोचना सही है। यह कहना निरर्थक है कि गोरे हमारे सम्बन्ध में हमेशा द्वेष-भावसे ही लिखते हैं। हम चाहते हैं कि हम ऐसे मामलोंमें किसीको भी आलोचना करनेकी गुंजाइश न दें। यदि कुछ नेतागण लगनके साथ इस दिशा में शिक्षण देनेका काम हाथमें ले लें तो हमारी स्थिति बहुत कुछ बदल सकती है। इस कामको मुख्यतः जमीन-जायदादवाले लोग, जो मकान किरायेपर देते हैं, आसानीसे कर सकते हैं। परन्तु उन्हें पहले किरायेका अतिलोभ छोड़ना चाहिए, तभी वे ऐसा कर सकेंगे।

[गुजरातीसे]

इंडियन ओपिनियन, २५-१-१९१३