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पत्र : हरिलाल गांधीको
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इस जहरीले पदार्थको समेटकर यह हवा बाहर निकलती है और जो प्राणवायु भीतर छोड़ आई है, वह नसोंके जरिये सारे शरीरमें दौड़ती है। इससे समझा जा सकता है कि बाहर निकलनेवाला उच्छ्वास एक हद तक जहरीला होता है। हमारे शरीर-तन्त्रपर हवाका प्रभाव कुछ इतना अधिक होता है कि इस सम्बन्धमें विस्तारपूर्वक चर्चा हम अलग प्रकरणमें ही करेंगे।

[गुजरातीसे]

इंडियन ओपिनियन, २५-१-१९१३

३३३. पत्र : हरिलाल गांधीको

[फीनिक्स]
पौष बदी ४ [जनवरी २६, १९१३][१]

चि० हरिलाल,

भाई मेढको एक पत्र मिला है, जिसमें उनके पिताने तुम्हारे अनुत्तीर्ण होनेका समाचार दिया है। तुम्हें स्वयं पत्र लिखना चाहिए था।

तुम्हारे अनुतीर्ण होनेसे मैं निराश नहीं हुआ हूँ। तुमने यह परीक्षा पास करनेका निश्चय किया है, इसलिए फिरसे इसके पीछे पड़ जाओ। अपनी परीक्षाके पर्चे मुझे भेजना। उन्हें तुमने सँभाल कर रखा ही होगा। यह बताना कि तुम किस विषय में रह गये।

'मुम्बई' समाचारसे[२] पता चलता है कि तुम श्री गोखलेके सम्मान में आयोजित सभामें उपस्थित थे। तुम्हारे मनपर उसका जो प्रभाव पड़ा हो, मुझे बताना।

मैं छः महीने में वहाँ आ जानेकी तैयारी कर रहा हूँ। ऐसा लगता है कि अगर हमारी माँगके अनुसार विधेयक पास हो गया तो अवश्य आ जाऊँगा। इसीलिए फीनिक्समें आकर बस गया हूँ। मैं चाहता हूँ, पाँच महीने तक फीनिक्ससे बाहर न जाऊँ।

फीनिक्स में [पहले से ही] रहनेवाले बच्चोंको मिलाकर[३] अब कुल ३० लड़कोंको पढ़ाना पड़ता है। जेकी बहन, कुमारी वेस्ट, मगनभाई पटेल[४] नामक एक व्यक्ति, काशी और मैं - इतने लोग पढ़ाते हैं। मैं सवेरे पौने पाँच बजे उठता हूँ और लड़कोंको

  1. तीसरे परिच्छेद में जिस सभाकी चर्चा की गई है, वह श्री गोखलेके दक्षिण आफ्रिकाकी यात्रासे लौटने पर उनके सम्मानमें बम्बईके शेरिफ द्वारा १६ दिसम्बर १९१२ को बुलाई गई थी। इसलिए यह पत्र उसके बाद ही लिखा गया होगा। और उसके बाद पड़नेवाली पौष वदी ४ को ईसवी सन् की उक्त तिथि ही थी।
  2. बम्बई से प्रकाशित प्रसिद्ध गुजराती दैनिक।
  3. गांधीजी अपने साथ टॉल्स्टॉय फार्मके स्कूलके विद्यार्थियोंको भी लेते आये थे। यह स्कूल जनवरी १९१३ में बन्द कर दिया गया था। इंडियन ओपिनियन, १८-१-१९१३
  4. फीनिक्स में एक अध्यापक। वे मगनलाल गांधी तथा अन्य लोगोंके साथ १९१५ में भारत वापस आ गये थे।