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३४०. श्री गोखलेके प्रयत्नका फल


श्री गोखलेके प्रयत्नोंके एकके-बाद-एक परिणाम निकलते जा रहे हैं। एक परिणाम यहाँसे बहुत दूर फोजीमें दिखाई दिया है। वहाँसे प्राप्त एक अखबारका एक अनुच्छेद हमने अंग्रेजी विभागमें उद्धृत किया है। उसमें बताया गया है कि फीजीके गन्ने के खेतोंके गोरे मालिकोंने एक प्रस्ताव पास किया है। इसमें कहा गया है कि भारतमें गिरमिटियोंके सम्बन्धमें आन्दोलन किया जा रहा है, इसीलिए फीजीके गिरमिटके कानून में परिवर्तन कर दिया जाये। अर्थात्, मजदूरोंके काम न करनेपर उन्हें सजा देनेसे सम्बन्धित धाराएँ निकाल दी जायें। इसमें शक नहीं कि बुराई इन्हीं धाराओंमें सबसे ज्यादा है। इन धाराओंके कारण ही भारतीय मजदूरोंको कष्ट उठाने पड़ते हैं। साधारण मजदूरों और गिरमिटिया मजदूरोंमें जो बड़ा फर्क है सो उन्हींके कारण है। साधारण मजदूर कसूर करता है तो वह बरतरफ कर दिया जाता है। गिरमिटिया कसूर करता है तो जेल भेज दिया जाता है और जेलसे छूटनेपर फिर जहाँका तहाँ भेज दिया जाता है। ऊपर बताया गया परिवर्तन होनेपर भी गिरमिटकी प्रथाको कायम रखना अवांछनीय है। गिरमिटको तो सभी रूपोंमें खत्म कर दिया जाना चाहिए। परन्तु गोरे मालिक अपनी हदतक किसी कानूनमें अपने-आप ऐसा परिवर्तन करना चाहते हैं जिससे उन्हें हानि पहुँचनेकी सम्भावना हो तो यह कोई सामान्य बात नहीं है। एक व्यक्ति भी सच्चा प्रयत्न करे तो उसके कितने अच्छे परिणाम निकल सकते हैं!

[गुजरातीसे]

इंडियन ओपिनियन, ८-२-१९१३

३४१. आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-६]

हवा हम लोग फेफड़ोंके जरिये ही नहीं लेते, उसका कुछ भाग त्वचाके द्वारा भी लेते हैं। हमारी त्वचामें अगणित बारीक छिद्र हैं। इन्हींके जरिये हम लोग हवाका सेवन करते हैं।

जो पदार्थ इतना महत्वपूर्ण है, उसे शुद्ध कैसे रखा जाये, इसे जान लेना हम सभीका फर्ज है। सच देखा जाये, तो ज्यों ही बालक कुछ-कुछ समझने लगे, उसे हवा के महत्वके विषयमें जानकारी दी जानी चाहिए। इन प्रकरणोंको पढ़नेवाले सज्जन यह अत्यन्त सरल, किन्तु महत्वपूर्ण काम अवश्य करेंगे और हवाके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान प्राप्त कर उसके अनुसार चलकर अपने बच्चोंको जानकारी और तदनुसार चलनेकी प्रेरणा भी देंगे। यदि उन्होंने इतना किया, तो मैं खुदको कृतकृत्य मानूंगा।