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३४२. पत्र : गो० कृ० गोखलेको

फीनिक्स
फरवरी १४, १९१३

प्रिय श्री गोखले,


डॉ० गुलने[१] मुझे अभी बताया है कि आपका छाता मिल गया है। कुछ ही दिन हुए, वह श्री जोशीके भारत रवाना होते समय उनके साथ भिजवा दिया गया है। श्री जोशी आपसे केप टाउनमें मिले थे। आपकी टोपी भी मिल गई है। इसे श्री कोटवाल भारत पहुँचनेपर आपको दे देंगे। वे जल्दी ही रवाना हो रहे हैं।

अबतक भारतके अखबारोंकी सभी आलोचनाएँ मुझे मिल चुकी हैं। उन्हें पढ़कर दुःख होता है। लेकिन आपसे बातें होनेके बाद मेरा मन इसके लिए तैयार हो चुका था। मैं देखता हूँ, आप इसका उत्तर अपने ढंगसे दे रहे हैं। इन आलोचनाओंका असर यहाँ भी हुआ है। अय्यर अपने अखबार में तीखे लेख लिख रहे हैं। मैं आपको सब कतरनें नहीं भेज रहा हूँ; लेकिन आप शायद 'एडवर्टाइज़र' का लेख पड़ना पसन्द करेंगे। 'एडवर्टाइज़र' में अय्यर द्वारा उद्धृत आलोचनाएँ छापी गई हैं।

जनरल हेटसॉंगके अलग हो जानेसे खुद बोथा मन्त्रिमण्डलमें भीतरी झगड़े खड़े हो गये हैं।[२] आपने 'इंडियन ओपिनियन' में देखा होगा कि 'स्टार' के संवाददाताने यह कहकर आपकी प्रशंसा ही की है कि चूंकि जनरल बोथा भारतीय प्रश्नको एक साम्राज्यीय प्रश्न मानते हुए आपसे स्वयं ही मिलना चाहते थे, इसलिए जनरल हेटसॉंग अपने सहयोगी-मन्त्रियोंसे लड़ पड़े।[३] मन्त्रालयके इन आन्तरिक झगड़ोंने संसदीय मन्त्रिमण्डलको छिन्न-भिन्न कर दिया है और बहुत सम्भव है कि जिस कानूनको पास करनेका वादा किया गया है, वह फिर स्थगित कर दिया जाये। यदि ऐसा हुआ तो मेरी स्थिति विषम हो जायेगी और फिर मैं सम्भवतः इस वर्षके मध्य तक भारत रवाना नहीं हो सकूंगा।

मन्त्रिगण निश्चय ही अपने वादोंको पूरा नहीं कर रहे हैं। प्रवासी- अधिनियमोंके अमल में सख्ती बढ़ती जा रही है। वैध अधिवासी भारतीयोंकी पत्नियोंको बहुत परेशान किया जा रहा है और उन्हें बहुत खर्च उठाना पड़ रहा है। सब मामले 'इंडियन ओपिनियन' में संगृहीत हैं।

मैं यह माने लेता हूँ कि आप वहाँ एक स्थायी समिति[४] बना लेंगे और लन्दन जानेपर वहाँकी संस्थाको भी पुनर्गठित कर लेंगे।

  1. डॉ० ए० एच० गुल
  2. देखिए "हेटलोंगवाद", पृष्ठ ४४७ तथा उसकी पादटिप्पणी भी।
  3. देखिए "हेटलोंगवाद", पृष्ठ ४४७ तथा उसकी पादटिप्पणी भी।
  4. दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति, लन्दन।