पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/४९८

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३४४. बढ़िया सुझाव!

एस्टकोर्ट के मजिस्ट्रेटने यह सुझाव दिया है कि हरएक काले आदमीपर यानी हरएक भारतीय और हब्शीपर तीन पौंडी कर लगाना चाहिए। जो काला आदमी किसी गोरेकी नौकरी करे उसे उस करमें १० शिलिंगकी छूट दी जाये। यह मजिस्ट्रेट कहता है कि ऐसा करनेसे तमाम भारतीय और हब्शी [गोरोंका] काम करने लग जायेंगे। इसके सिवा वह यह सुझाव भी देता है कि एशियाइयोंको नये परवाने (लाइसेंस) न दिये जायें, उन्हें अपने कारोबारकी जगह न बदलने दी जाये, उन्हें अपनी पेढ़ीमें नये साझेदारोंको स्थान देनेका अधिकार न दिया जाये, जब किसी कारोबारका मालिक मर जाये तो उसका कारोबार किसी गोरे न्यासी (ट्रस्टी) को सौंप कर बिकवा दिया जाये और बन्द करा दिया जाये और जो भारतीय स्वयं अंग्रेजी या डच भाषामें अपनी बहियाँ न रख सकें उनका परवाना रद कर दिया जाये। इसके बाद यह मजिस्ट्रेट कहता है कि यदि ऐसा कानून न बनाया गया तो [व्यापारपर] भारतीयोंका बहुत बड़ा अधिकार ही जम जायेगा। एक मजिस्ट्रेटने खुल्लमखुल्ला यह कहा, परन्तु ऐसे विचार तो सैकड़ों गोरोंके हैं। उनका यह इरादा अभी पूरा नहीं हुआ क्योंकि हममें कुछ तेज बाकी है। परन्तु यदि हमारा तेज इतना ही रहा और उक्त विचार रखनेवाले गोरोंकी संख्या बढ़ गई तो यहाँसे हमारा अस्तित्व मिटने में देर न लगेगी। इस बात को समझना इतना ही आसान है जितना किसी त्रैराशिक सवालको समझना।

[गुजरातीसे]

इंडियन ओपिनियन, १५-२-१९१३

३४५. आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-७]

पिछले प्रकरण में हम देख चुके हैं कि हवा ग्रहण करनेका मार्ग नाक है, मुँह नहीं; यह जानते हुए भी बहुत थोड़े लोग ऐसे हैं, जिन्हें ठीक ढंगसे श्वास लेना आता है। कई लोग मुंहसे ही श्वास लेते हैं। यह आदत हानिकारक है। यदि बहुत सर्द हवा मुँह मार्गसे ली जाये, तो अनेक बार जुकाम हो जाता है और गला बैठ जाता है। मुंहसे श्वास लेनेवालेके फेफड़ोंमें हवा में मिले हुए रजकण प्रवेश कर जाते हैं, जिनके कारण कई बार फेफड़ोंको बहुत हानि पहुँचती है। इस बातका प्रत्यक्ष उदाहरण लन्दन-जैसे शहरमें शीघ्र ही मिल जाता है। वहाँ जो धुएँकी चिमनियाँ हैं, उनके कारण नवम्बरके महीने में कुहरा - पीला धुआँ - छा जाता है। इसमें धूलके बहुत बारीक, काले कण हुआ करते हैं। जो लोग इन रजकणोंसे भरी हुई हवा मुँहके जरिये खींचते हैं, उनके थूकमें इन रजकणोंको देखा जा सकता है। इसे रोकने के लिए कई स्त्रियां, जिन्हें नाकके जरिये श्वास लेनेकी आदत नहीं है, अपने मुँहपर