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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


संलग्न पत्रसे[१] देखोगे कि मैंने ब्रिटिश भारतीय संघ और नेटाल कांग्रेस, दोनोंके तारोंका उपयोग कर लिया है।

सोराबजीने लन्दन जानेकी बात फिर छेड़ी[२] है। मेरी निश्चित धारणा है कि यदि मैं जाऊँ भी तो मेरे साथ एक मुसलमान होना चाहिए। इसमें तीन उद्देश्य हैं। एक तो, इससे यहाँके समाजको संतोष मिलेगा; दूसरे, लन्दनमें प्रतिनिधियोंका महत्व बढ़ जायेगा; और तीसरे, इसका भारतमें अच्छा प्रभाव होगा। और चौथी एक बात भी है कि इससे श्री काछलियाको बहुत अच्छा प्रशिक्षण मिल जायेगा; उनकी जोड़के व्यक्ति मुसलमानोंमें निश्चय ही इन-गिने हैं। किन्तु यदि विधेयक अगले सप्ताह पेश नहीं किया जाता तो मेरी समझमें नहीं आता कि मैं जा ही कैसे सकता हूँ। मुझे लन्दन सम्मेलनकी तारीखसे एक सप्ताह पहले पहुँच जाना चाहिए। मैं फीनिक्स बिलकुल न जाऊँ और जोहानिसबर्ग भी न जाऊँ तो भी बहुत शीघ्रता न करूं तो मेरे खयालसे मेरा लन्दन पहुँचना असम्भव है। इन सब व्यावहारिक कठिनाइयोंके सम्बन्धमें विचार कर लो।

अभीतक तुम्हें कोई कानूनी काम मिला या नहीं? क्या तुमने सॉलीसिटरकी शपथ ले ली है ? कानूनी समितिको सूचना भेज दी या नहीं ?

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५४३७) की फोटो नकलसे।

१८. तार : जोहानिसबर्ग कार्यालयको

केप टाउन
अप्रैल ८, १९११

गांधी
जोहानिसबर्ग


मामलेके[३] अगले हफ्ते पेश होनेकी बहुत कम सम्भावना।

गांधी

मूल अंग्रेजी तार (एस० एन० ५४३९) की फोटो-नकलसे।

  1. देखिए पिछला शीर्षक ।
  2. साम्राज्य-सम्मेलनके लिए; देखिए “पत्र: एल० डब्ल्यू० रिचको", पृष्ठ ६ ।
  3. प्रवासी विधेयक ।