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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


बोले। इन सभाओं में उनके विरुद्ध बोलनेवाला कोई भी व्यक्ति खड़ा नहीं हुआ था। फिर भी इस पक्षके कारण 'बंगाली' जैसा पत्र भ्रमित हो गया। जिन अखबारोंने श्री गोखलेकी आलोचना की थी उन्होंने कांग्रेसमें उनका भाषण[१] होनेके बाद बहुत खेद प्रकट किया और लिखा कि उन्होंने वह आलोचना गलतफहमी के कारण की थी। श्री गोखलेने कांग्रेस में भाषण देकर यह बिलकुल स्पष्ट कर दिया है कि उनके कार्यके विरुद्ध कहने लायक कोई बात है ही नहीं। इतना ही नहीं, बल्कि उनका कार्य बहुत अच्छा रहा।

हमारी तो यह मान्यता है कि देश में इस विषयपर मतभेद और श्री गोखलेकी आलोचनासे लाभ ही हुआ है। इससे समस्त भारतमें हमारे सवालपर खूब वाद-विवाद हुआ और लोगोंने हमारी लड़ाईका सच्चा रहस्य समझा। अबतक जिन लोगोंका ज्ञान इस सवालके बारेमें गहरा नहीं था, वे अब उसे गहराई से समझने लगे हैं। यदि वे पहलेसे इस सवालकी गहराईमें गये होते तो यह गलतफहमी होती ही नहीं। [प्रश्न उठता है कि] जिन लोगोंने दो वर्ष पहले समझौता पसन्द किया था, अब वे ही लोग उसी समझौतेको मंजूर करनेपर श्री गोखलेकी आलोचना और समझीतेका विरोध कैसे करते हैं। परन्तु यह जाननेकी इच्छा सभीको होती है कि श्री गोखले-जैसे व्यक्तिने क्या किया होगा, और इसलिए वे विचार करने लग जाते हैं। और विचार करते हुए उतावलीमें वे दोष भी देखते हैं। इस समय भी ऐसा ही हुआ है। परन्तु इसका परिणाम अच्छा ही निकला। यह निश्चित है कि हमारे सवालका महत्व अब भारतमें और इंग्लैंड में भी पहले से बहुत अधिक माना जाने लगा है।

[गुजरातीसे]

इंडियन ओपिनियन, २२-२-१९१३

३४७. आरोग्यके सम्बन्धमें सामान्य ज्ञान [-८]

४. पानी

हम आगे देख चुके हैं कि हवा एक खुराक है। पानी भी इसी तरह खुराक ही है। हवाका इसमें पहला स्थान है और पानीका दूसरा। हवाके बिना मनुष्य कुछ मिनटों तक निर्वाह कर सकता है। पानीके बिना कुछ एक घंटे, और कोई देश-विशेष हो, तो कुछ एक दिन भी निकाल सकता है। तब भी इतना तो निश्चित है कि जितनी लम्बी मुद्दत तक भोजनके बिना जीवन चलाया जा सकता है, उतनी मुद्दत तक पानीके बिना नहीं चलाया जा सकता। और यदि मनुष्यको पीनेके लिए पानी मिलता रहे तो वह कई दिनों तक अनाजके बिना जी सकता है। हमारे शरीर में पानी लगभग ७० प्रतिशत है। पानीको छोड़कर शरीरका बाकी वजन केवल ८ से १२ पौंड तक ही माना जाता है। हमारी खुराकमें भी कम-ज्यादा पानी होता ही है।

  1. देखिए "राष्ट्रीय कांग्रेस में श्री गोखले", पृष्ठ ४१८ और "भारत में गोखलेका भाषण", पृष्ठ ४२१-२२।